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Friday 19 July 2019 05:06:52 PM
नई दिल्ली। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए सुरक्षित, दक्ष, किफायती और टिकाऊ ऊर्जा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सीईईडब्ल्यू नई दिल्ली में एक प्रमुख कार्यक्रम एनर्जी होराइजन 2019 में प्रमुख भाषण देते हुए उन्होंने भारत के ऊर्जा संबंधी परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण रूझानों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि भू-राजनीति के कारण हमें ऊर्जा बाज़ार की अस्थिरता से निपटना होगा और वैश्विक स्तरपर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कारोबारियों को व्यवधानों के लिए तैयार रहने के लिए सतर्क करते हुए कहा कि इनके लिए हमें लीक से हटकर सोचना होगा। भविष्य के कार्यों और कार्यबल तैयार करने की आवश्यकता के बारे में उन्होंने कहा कि संगठनों तथा देश को अपने यहां उपलब्ध प्रतिभा की तैयारी का आकलन करना होगा और उन्हें व्यवधानों के लिए तैयार करना होगा।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि हम एक ऐसी दुनिया में हैं, जो प्रमुख ऊर्जा संबंधी बदलावों के संक्रमण से गुजर रही है और दुनिया की तेजी से बढ़ती विशाल अर्थव्यवस्थाओं में से एक तथा वैश्विक स्तरपर ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के नाते भारत ऊर्जा संबंधी बदलाव को वास्तव में अपना भी रहा है। उन्होंने कहा कि इन पांच वर्ष में भारत में हुई जबरदस्त प्रगति आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के विशाल आयाम को कवर करने वाले श्रृंखलाबद्ध नीतिगत सुधारों के माध्यम से हासिल की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार समावेशी, परिपूर्ण और निरंतर उच्च आर्थिक प्रगति के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 तक भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हम मिशन मोड में कार्य कर रहे हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वर्ष 2035 तक भारत की ऊर्जा खपत के प्रतिवर्ष 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो विश्व की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से सबसे तीव्र होगी। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर वर्ष 2017 में भारत की ऊर्जा संबंधी मांग बढ़कर 754 मिलियन टन तेल हो गई, वहीं प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत अब भी वैश्विक औसत से काफी कम है। उन्होंने कहा कि मजबूत आर्थिक विकास के कारण कुल वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा मांग में भारत की हिस्सेदारी का वर्ष 2040 तक मोटे तौरपर दोगुना होकर लगभग 11 प्रतिशत होना तय है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जटिल और तेजी से बढ़ती हमारी ऊर्जा संबंधी जरूरतों की प्रकृति को देखते हुए हमें ऊर्जा के ऐसे सभी स्रोतों पर निर्भर करना होगा, जो सुरक्षित, दक्ष, किफायती और टिकाऊ हैं, जिसमें कोयले, तेल, गैस, जैव-ईंधन, परमाणु, पनबिजली, सौर और पवन का सार्थक योगदान आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि भारत भू-राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाना और आगे बढ़ते हुए अपनी क्रूड आपूर्ति की सुरक्षा की दिशा में कार्य करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत एक प्रमुख उपभोक्ता राष्ट्र के रूपमें ऊर्जा संबंधी न्याय की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए एक महत्वपूर्ण प्रभावकारी राष्ट्र बन गया है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उपभोग के नजरिए से रूझानों का झुकाव तेजी से स्वच्छ ईंधन अपनाने की दिशा में हो रहा है, गैस पहले से ही परिवर्तनकारी ईंधन के रूपमें स्थापित हो चुकी है और समग्र प्राथमिक ऊर्जा मिशन के तौरपर गैस की हिस्सेदारी भारत के लिए प्राथमिकता के रूपमें उभरकर सामने आई है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ईवी प्राथमिकता है, लेकिन ईंधन की क्रमिक आवश्यकता की पूर्ति ईवी के साथ-साथ बीएस-VI ग्रेड पेट्रोल और डीजल, सीएनजी और जैव-ईंधनों से करनी होगी। उन्होंने कहा कि एडवांस एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, ड्रोंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सेंसर, वेरबल्स, रोबोटिक्स प्रोसेस ऑटोमेशन और ब्लॉक चेन जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों का भी तेजी से विकास हो रहा है, भारतीय कंपनियों को तेजी से इन प्रौद्योगिकियों को अपनाना होगा और प्रारंभिक औद्योगिक क्रांतियों के विपरीत भारत इनसे चूकने की स्थिति में नहीं है।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि हमें कम कुशल कामगारों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, प्रौद्योगिकी द्वारा कम वेतन पाने वाले कामगारों के रोज़गार में व्यवधान आने की आशंका सबसे ज्यादा है और उन्हीं के कॉरपोरेट प्रशिक्षण प्राप्त करने की संभावना सबसे कम है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय इस क्षेत्र में सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन की दिशा में प्रयास जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि एक विशाल विश्वसनीय ऊर्जा की खपत करने वाला राष्ट्र होने के नाते भारत की बात सम्मान से सुनी जाती है, हम तेल की आपूर्ति करने वाले देशों को जिम्मेदार और वाजिब मूल्य निर्धारण के बारे में समस्त उपभोक्ता देशों के उचित दृष्टिकोण के बारे में समझाने में समर्थ रहे हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमने उत्तरदायित्वपूर्ण मूल्य निर्धारण तथा एशियन प्रीमियम समाप्त करने के मामले को ओपेक और उसके समक्ष देशों के साथ उठाया है, भारत ने तेल और गैस क्षेत्र में एकजुट होकर कार्य करने तथा आपसी हित के क्षेत्रों में तालमेल कायम करने के लिए जापान और चीन जैसे ऊर्जा के प्रमुख उपभोक्ता देशों के साथ साझेदारियां की हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका ने पिछले साल रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी स्थापित की है, अमेरिका के साथ हमने प्राकृतिक गैस के बारे में एक संयुक्त कार्यबल का भी गठन किया है, जिसका उद्देश्य भारत के प्राथमिक ऊर्जा मिशन में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के क्षेत्र में आपूर्ति और मांग में अंतर टाला नहीं जा सकता और इसके लिए वर्तमान में जारी ऊर्जा बदलाव के क्षेत्र में व्यापक नवाचारों और निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा।