स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 20 July 2019 06:19:38 PM
नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं और इस समय दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दीक्षित नहीं रहीं। वे 81 वर्ष की थीं। यूं तो उन्हें पेसमेकर लगा था, लेकिन बताया जाता है कि उसके ठीक से काम न करने और अचानक सेहत खराब होने के बाद उन्हें शनिवार को फिरसे एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे आईसीयू में थीं, जहां बड़े प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। उल्लेखनीय है कि दस दिन के इलाज के बाद इसी सोमवार को ही वह अस्पताल से घर लौटी थीं। वे दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में थीं, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। कांग्रेस सहित अनेक राजनीतिक दलों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
शीला दीक्षित को दिल्ली के विकास का मॉडल माना जाता है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 1998 से 2013 तक लगातार सरकार बनाई। दिल्ली के इतिहास में वे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रही हैं। शीला दीक्षित के कार्यकाल में ही दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित हुए थे और दिल्ली को विश्वस्तरीय मेट्रो रेल मिली। उनके कार्यकाल में ही दिल्ली में दर्जनों फ्लाइओवर बने और दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में सुधार हुआ। इसके बावजूद उनको 2013 में आम आदमी पार्टी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इस समय दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की सरकार है।
शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश काडर के शक्तिशाली आईएएस अधिकारी विनोद दीक्षित की पत्नी थीं। विनोद दीक्षित के निधन के बाद शीला दीक्षित का राजयोग सामने आया और उन्होंने बड़ी सफलता से दिल्ली पर राज किया। शीला दीक्षित के राजनीतिक जीवन से कई विवाद भी जुड़े हैं। उन्हें भी अपनी बेटी के अंतरजातीय विवाह से बड़ा झटका लगा और वे इसे भुला नहीं पाईं। उनका पुत्र संदीप दीक्षित भी विवादों में रहा है। वह भी कांग्रेस में हैं और राजनीति में कोई अनुकरणीय भूमिका नहीं निभा पाए हैं। शीला दीक्षित ने राजनीतिक रणनीतियों से कई बड़े दिग्गजों को पछाड़ा, यद्यपि उन्हें कई असहज राजनीतिक दबावों का भी सामना करना पड़ा। दिल्ली में इस बार के लोकसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़े गए। कांग्रेस के कुछ नेता आम आदमी पार्टी से गठबंधन चाहते थे, लेकिन शीला दीक्षित इसके लिए तैयार नहीं हुईं, भलेही कांग्रेस दिल्ली में सभी लोकसभा सीटें हार गई। उनके निधन पर शोक संवेदनाओं का तांता लगा हुआ है।