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Tuesday 23 July 2019 12:29:16 PM
नई दिल्ली। मानव अधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक-2019 राज्यसभा में भी सर्वसम्मति से पारित हो गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सभी सदस्यों से सहयोग की अपील करते हुए कहा है कि चयन समिति में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, उपसभापति राज्यसभा एवं दोनों सदनों के विपक्ष के नेता शामिल हैं, इसलिए लोकतांत्रिक संस्थानों की चयन प्रक्रिया में उन्हें संदेह नहीं होना चाहिए। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने इस अवसर पर कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार मानव आयोग के अधिकारों की स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है तथा इस संशोधन से क्षमता और बहुलता में वृद्धि होगी एवं आयोग और राज्य आयोगों को भी उनकी स्वायत्तता, स्वतंत्रता बहुवाद और मानव अधिकारों के प्रभावी संरक्षण तथा उनका संवर्धन करने हेतु बल मिलेगा।
मानव अधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक-2019 के मुख्य बिंदु हैं कि भारत के मुख्य न्यायमूर्ति के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा है, को भी आयोग के अध्यक्ष के रूपमें नियुक्ति हेतु पात्र बनाया जा सके। आयोग के सदस्यों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन की जा सके, जिनमें से एक महिला होगी। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजन सम्बंधी मुख्य आयुक्त को आयोग के सदस्यों के रूपमें शामिल किया जा सकेगा। आयोग और राज्य आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की पदावधि को पांच वर्ष से कम करके तीन वर्ष किया जा सके और वे पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र से भिन्न अन्य संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्वहन किए जा रहे मानव अधिकार सम्बंधी मामलों को राज्य आयोगों को प्रदत्त किया जा सके, दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र के सम्बंध में आयोग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।