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Tuesday 23 July 2019 12:43:05 PM
श्रीहरिकोटा। भारत के भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी जीएसएलवी एमकेIII-एम1 ने 3840 किलोग्राम भार वाले चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान को पृथ्वी की एक कक्षा में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया। यह अंतरिक्षयान इस समय धरती के निकटतम बिंदु 169.7 किलोमीटर और धरती से दूरस्थ बिंदु 45,475 किलोमीटर पर रहते हुए पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। यह उड़ान जीएसएलवी एमकेIII की प्रथम परिचालन उड़ान है। बीस घंटे तक चली उल्टी गिनती के बाद जीएसएलवी एमकेIII-एम1 यान ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉंच पैड से निर्धारित समय पर भारतीय समय के अनुसार दो बजकर 43 मिनट पर अपनी दो एस 200 सॉलिड स्ट्रैप-ऑन मोटरों के इग्निशन के साथ शानदार उड़ान भरी, उड़ान के बाद के सभी चरण निर्धारित क्रम में सम्पन्न किए गए।
जीएसएलवी एमकेIII-एम1 ने उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट 14 सैकेंड के बाद चंद्रयान-2 अंतरिक्षयान को पृथ्वी की एक अंडाकार कक्षा में पहुंचा दिया, अंतरिक्षयान के प्रक्षेपण यान से पृथक होने के फौरन बाद अंतरिक्ष यान की सौर श्रृंखला यानी सोलर ऐरे स्वचालित रूपसे तैनात हो गई और इसरो टेलिमिट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क बेंगलूरू ने अंतरिक्षयान का नियंत्रण सफलतापूर्वक ग्रहण कर लिया। इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवन ने इस चुनौतीपूर्ण मिशन में शामिल प्रक्षेपण यान और उपग्रह टीमों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है, जीएसएलवी एमकेIII-एम1 यान ने चंद्रयान-2 को 6,000 किलोमीटर की एक कक्षा तक सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, जो वांछित कक्षा से अधिक एवं बेहतर है। डॉ केसिवन ने कहा कि चंद्रमा तक पहुंचने की भारत की ऐतिहासिक यात्रा तथा अबतक खोजे नहीं गए तथ्यों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक प्रयोग करने हेतु दक्षिणी ध्रुव के निकटवर्ती स्थान पर उतरने की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि 15 जुलाई 2019 को इसरो ने बड़ी कुशलता के साथ एक तकनीकी गड़बड़ी का पता लगा लिया था, टीम इसरो ने 24 घंटे के भीतर ही इस गड़बड़ी पर काम करके, उसको दुरुस्त कर सुधार दिया था और इसरो ने शानदार सफलता हासिल की।
आने वाले दिन में चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए सिलसिलेवार ढंग से ऑर्बिट मॅनूवॅर्स किए जाएंगे। इससे अंतरिक्षयान की कक्षा चरणों में ऊंची उठेगी और उसे एक लूनर ट्रांसफर ट्राजैक्ट्री में पहुंचाएगी, इस कदम से अंतरिक्षयान चंद्रमा के निकट यात्रा कर सकेगा। जीएसएलवी एमकेIII इसरो का विकसित किया गया तीन अवस्थाओं वाला एक प्रक्षेपण यान है, इसमें दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन, एक कोर लिक्विड बूस्टर और क्रायोजनिक ऊपरी अवस्था है। यह यान 4 टन के उपग्रहों को भूसमकालिक परिवर्तन कक्षा या लगभग 10 टन लो अर्थ ऑर्बिट का वहन करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-2 भारत का चांद पर दूसरा मिशन है। इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का इस्तेमाल किया गया है। रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर के अंदर स्थित है। चंद्रयान-2 मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी को विकसित करना और इसका प्रदर्शन करना है। इसमें चांद मिशन क्षमता, चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग और चांद की सतह पर चलना शामिल हैं। विज्ञान के संबंध में यह मिशन चांद के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा। चांद की भौगोलिक स्थिति, खनिज, सतह की रासायनिक संरचना, ताप-भौगोलिक गुण तथा परिमंडल के अध्ययन से चांद की उत्पत्ति और विकास की समझ बेहतर होगी।
पृथ्वी कक्षा छोड़ने और चांद के प्रभाव वाले क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-2 की प्रणोदन प्रणाली प्रज्ज्वलित होगी, ताकि यान की गति को कम किया जा सके। इससे यह चांद की प्राथमिक कक्षा में प्रवेश करने में सक्षम होगा। इसके बाद कई तकनीकी कार्य होंगे और चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर चंद्रयान-2 की वृत्ताकार कक्षा स्थापित हो जाएगी। इसके बाद लैंडर, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और 100 किलोमीटर x 30 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा। कई जटिल तकनीकी प्रक्रियाओं के बाद लैंडर 7 सितंबर 2019 को चांद के दक्षिण ध्रुव की सतह पर क्षेत्र में सॉफ्ट-लैंड करेगा। इसके बाद रोवर, लैंडर से अलग होगा और चांद की सतह पर एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन तक परीक्षण करेगा। लैंडर का मिशन जीवन भी एक चंद्र दिवस के बराबर है। ऑर्बिटर एक साल की अवधि के लिए अपना मिशन जारी रखेगा। ऑर्बिटर का वजन लगभग 2,369 किलोग्राम है, जबकि लैंडर और रोवर के वजन क्रमशः 1477 किलोग्राम और 26 किलोग्राम है। रोवर 500मीटर तक की यात्रा कर सकता है और इसके लिए रोवर में लगे सोलर पैनल से इसे बिजली मिलती है।
चंद्रयान-2 में कई विज्ञान पैलोड लगे हैं, जो चांद की उत्पत्ति और विकास के बारे में विस्तृत ब्यौरा प्रदान करेंगे। ऑर्बिटर में 8 पैलोड लगे हैं, लैंडर में तीन और रोवर में 2 पैलोड लगे हैं। ऑर्बिटर पैलोड 100 किलोमीटर की कक्षा से रिमोर्ट सेंसिंग संचालित करेगा जबकि लैंडर और रोवर पैलोड, लैंडिंग साइट के निकट मापने का कार्य करेगा। चंद्रयान-2 मिशन का तीसरा महत्वपूर्ण आयाम पृथ्वी पर स्थापित सुविधाएं हैं, ये सुविधाएं अंतरिक्ष यान से वैज्ञानिक डेटा और स्वास्थ्य जानकारी प्राप्त करेंगी। ये अंतरिक्ष यान को रेडियो कमांड भी भेजेंगी। चंद्रयान-2 के पृथ्वी पर स्थित सुविधाओं में शामिल हैं-इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क, अंतरिक्ष यान नियंत्रण केन्द्र और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा केंद्र। चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च को लगभग 7500 दर्शकों ने श्रीहरिकोटा की दर्शक दीर्घा से लाइव देखा।