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Tuesday 23 July 2019 06:32:09 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम और रोज़गार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने वेतन और बोनस तथा इनसे जुड़े मामलों से संबंधित कानूनों में संशोधन और समेकन के लिए आज लोकसभा में वेतन विधेयक-2019 पर कोड पेश किया। उन्होंने सदन में जानकारी दी कि वेतन विधेयक-2019 पर कोड में न्यूनतम वेतन अधिनियम-1948, वेतन भुगतान अधिनियम-1936, बोनस भुगतान अधिनियम-1965 तथा समान पारिश्रमिक अधिनियम-1976 के प्रासंगिक प्रावधानों को शामिल किया गया है। वेतन पर कोड लागू होने के बाद ये सभी चार अधिनियम निरस्त हो जाएंगे। कोड की मुख्य विशेषताएं हैं-वेतन पर कोड सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को सार्वभौमिक बनाता है। वर्तमान में न्यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोज़गारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं।
वेतन विधेयक-2019 से हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा और मौजूदा लगभग 40 से 100 प्रतिशत कार्यबल को न्यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर कामगार को न्यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। न्यूनतम जीवनयापन की स्थितियों के आधार पर गणना किए जाने वाले वैधानिक स्तर वेतन की शुरुआत से देश में गुणवत्तापूर्ण जीवनस्तर को बढ़ावा मिलेगा और लगभग 50 करोड़ कामगार इससे लाभांवित होंगे। विधेयक में राज्यों में कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने की परिकल्पना की गई है। विभिन्न श्रम कानूनों में वेतन की 12 परिभाषाएं हैं, जिन्हें लागू करने में कठिनाइयों के अलावा मुकद्मेबाजी को भी बढ़ावा मिलता है, इस परिभाषा को सरल बनाया गया है, जिससे मुकद्मेबाजी कम होने और एक नियोक्ता के लिए इसका अनुपालन सरलता करने की उम्मीद है। इससे प्रतिष्ठान भी लाभांवित होंगे, क्योंकि रजिस्टरों की संख्या, रिटर्न और फॉर्म आदि न केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरे जा सकेंगे और उनका रख-रखाव किया जा सकेगा, बल्कि यह भी कल्पना की गई है कि कानूनों के माध्यम से एक से अधिक नमूना निर्धारित नहीं किया जाएगा।
वर्तमान में अधिकांश राज्यों में विविध न्यूनतम वेतन हैं। वेतन पर कोड के माध्यम से न्यूनतम वेतन निर्धारण की प्रणाली को सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है। रोज़गार के विभिन्न प्रकारों को अलग करके न्यूनतम वेतन के निर्धारण के लिए एक ही मानदंड बनाया गया है। न्यूनतम वेतन निर्धारण मुख्य रूपसे स्थान और कौशल पर आधारित होगा, इससे देश में मौजूद 2000 न्यूनतम वेतन दरों में कटौती होगी और न्यूनतम वेतन की दरों की संख्या कम होगी। निरीक्षण शासन में अनेक परिवर्तन किए गए हैं, इनमें वेब आधारित रेंडम कम्प्यूटरीकृत निरीक्षण योजना, अधिकार क्षेत्र मुक्त निरीक्षण, निरीक्षण के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूपसे जानकारी मांगना और जुर्मानों का संयोजन आदि शामिल हैं। इन सभी परिवर्तनों से पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ श्रम कानूनों को लागू करने में सहायता मिलेगी। ऐसे अनेक उदाहरण थे कि छोटी सीमावधि के कारण कामगारों के दावों को उठाया नहीं जा सका। अब सीमा अवधि को बढ़ाकर तीन वर्ष किया गया है और न्यूनतम वेतन, बोनस, समान वेतन आदि के दावे दाखिल करने को एक समान बनाया गया है। फिलहाल दावों की अवधि 6 महीने से 2 वर्ष के बीच है।
वेतन विधेयक-2019 न्यूनतम वेतन के वैधानिक संरक्षण करने को सुनिश्चित करने और देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर वेतन भुगतान मिलने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह कदम जीवन सरल बनाने और आराम से व्यापार करने को बढ़ावा देने के लिए भी वेतन पर कोड के माध्यम से उठाया गया है। वेतन विधेयक पर कोड इससे पहले 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था, जिसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया था। समिति ने अपनी रिपोट 18 दिसंबर 2018 को प्रस्तुत की थी। हालांकि 16वीं लोकसभा भंग करने के कारण यह विधेयक रद्द हो गया था, इसलिए वेतन विधेयक-2019 पर कोड नाम से नया विधेयक तैयार किया गया है। संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों और हितधारकों के सुझावों पर परस्पर विचार करने के बाद वेतन विधेयक-2019 पर कोड नाम से नया विधेयक तैयार किया गया है।