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Saturday 3 August 2019 01:49:28 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विश्व में क्रोध, असहिष्णुता और असहनशीलता के बढ़ते स्तरों पर चिंता व्यक्त की और ऐसे उपदेशकों का आह्वान किया, जो लोगों में सुकून, आंतरिक शांति और प्रसन्नता को बढ़ावा दे सकें। उन्होंने उपराष्ट्रपति भवन में सद्गुरु जग्गी वासुदेव के उपदेश ‘सदगुरु से संवाद’ कार्यक्रम में कहा कि यांत्रिक जीवनशैली और कार्य की दिनचर्या के उच्च दबाव के कारण हमारा जीवन तनावपूर्ण हो चुका है। उन्होंने इसपर चिंता प्रकट की कि आज दुनियाभर में क्रोध और वैमनस्य के कारण संवाद का स्वरूप विकृत हो रहा है, यह हमारी प्रगति के लिए अच्छा लक्षण नहीं है। उपराष्ट्रपति ने आंतरिक शांति, शांत मस्तिष्क और आनंद से भरपूर हृदय की जरूरत पर बल दिया और सभी आध्यात्मिक नेताओं का जनता के साथ नियमित संवाद करने और जीवनशैली को बेहतर बनाने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव के पास जटिल अवधारणाओं की सुगमता से व्याख्या करने की दुर्लभ योग्यता मौजूद है। उन्होंने कहा कि वे ऐसे गुरु हैं, जो आशा, शांति और सकारात्मक चिंतन के संदेश जनता तक पहुंचाते हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि हममें से अधिकांश लोगों को जो केवल वाद और विवाद के अभ्यस्त हैं, उनके लिए संवाद तरोताज़गी भरा बदलाव होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि संवाद हमें सदासद् विवेक अर्थात सद् को असद से तथा अच्छाई को बुराई से अलग करने के विवेक की योग्यता के निकट ले जाएगा। उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता, सकारात्मकता और कल्याण पर सद्गुरु के उपदेश की सराहना की और जल संरक्षण के लिए उनकी पहल ‘नदियों के लिए रैली’ की सराहना की।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी, विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रामन्ना, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर सुभाष, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्यप्रकाश, सरकार के विभिन्न विभागों के सचिव, प्रमुख शिक्षाविद जेएस राजपूत और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।