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Saturday 3 August 2019 03:49:03 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि मिजोरम में नींबू प्रजाति के फल के उत्पादन में इजरायल की प्रौद्योगिकी का उपयोग हो रहा है। लुंग लेई में ‘सेंटर ऑफ एक्सलेंस’ भारत का अपनी तरह का अकेला संस्थान है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश की आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है। मिजोरम के कानून और न्याय, संसदीय कार्य, परिवहन, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री टीजे लालनूनलुआंगा ने राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से मुलाकात के दौरान इस मामले पर उनसे विचार-विमर्श किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने संतोष व्यक्त किया कि नींबू प्रजाति के फल के लिए पिछले वर्ष स्थापित सेंटर ऑफ एक्सलेंस इजरायल के सहयोग से पौधारोपण सामग्री और किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है। इजरायल प्रौद्योगिकी, पौधारोपण सामग्री और क्षमता विकास की सुविधाएं प्रदान कर रहा है।
मिजोरम के कुछ अधिकारियों ने इजरायल से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके लिए इजरायल सरकार, मिजोरम सरकार और भारत सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व सरकार की एक विशेष पहल है। पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय सुविधा और समन्वय प्रदान करने वाले विभाग की भूमिका निभा रहा है। लालनूनलुआंगा ने समुदाय आधारित इको-पर्यटन का प्रस्ताव डॉ जितेंद्र सिंह को सौंपा। इस प्रस्ताव में 15 करोड़ रुपए की लागत से सिक्किम के चम्पई लांगसम में निर्माण की जानेवाली एक परियोजना का ब्यौरा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मिजोरम में इस प्रकार की परियोजनाओं की आपार संभावनाएं हैं और इससे स्थानीय समुदाय को भी लाभ मिलेगा।
मिजोरम के मंत्री टीजे लालनूनलुआंगा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री को परियोजनाओं के प्रस्ताव की एक प्रति भी सौंपी और उन्हें जानकारी दी कि मिजोरम सरकार इन परियोजनाओं का प्रस्ताव पहले ही पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय को सौंप चुकी है। इन परियोजनाओं में सरलुई बेली पुल, आइजोल में कृत्रिम फुटबॉल टर्फ, ममित में जिला अस्पताल का विकास, राज्य में भूस्खलन को नियंत्रित करने की परियोजनाएं और लघु सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण आदि शामिल हैं।