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Friday 9 August 2019 01:57:55 PM
नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा है कि शोध एवं अनुसंधान किसी भी देश के विकास की मजबूत नींव हैं और भारत भी शोध एवं अनुसंधान के बल पर ही पुनः विश्वगुरु बनेगा। उन्होंने यह बात नई दिल्ली में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर देशभर के उच्चशिक्षा सचिवों की बैठक में कही। एचआरडी मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में राज्यों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी राज्यों को आह्वान किया कि शिक्षा नीति पर अधिक से अधिक मंथन होना चाहिए, शिक्षा नीति पूरे देश के लिए है और देश की नीति में सबकी सहभागिता सुनिश्चित होनी चाहिए।
एचआरडी मंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा इन 4 वर्ष में सभी हितधारकों के साथ हुए विस्तृत विचार-विमर्श का परिणाम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन करना है, ताकि भारत वैश्विक ज्ञान प्रणाली में एक प्रमुख भूमिका निभा सके। उन्होंने कहा कि इस मसौदे में कई प्रावधान हैं, जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्नातक शिक्षा का पुनर्गठन, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन द्वारा अनुसंधान को बढ़ावा, भारतीय भाषाओं को बढ़ावा, अधिक वित्तीय संसाधनों को इस क्षेत्र में लाना और उच्चशिक्षा प्रणाली में अधिक स्वायत्तता को बढ़ावा देना इसी दिशा में उठाए जाने वाले प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि उच्चशिक्षा को अधिक रोज़गारपरक, शोधपरक, नवाचारयुक्त, प्रौद्योगिकीयुक्त और जवाबदेह होने की आवश्यकता है, ताकि युवाओं को सही दिशा मिल सके।
रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने जर्मनी, जापान और इस्राइल जैसे विकसित देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत को भी अपनी मातृभाषाओं में अधिक से अधिक शोध को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्चशिक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को और अधिक प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के बेहतर भविष्य के लिए हमारे ऊपर अपनी रणनीतियों को समयबद्ध रूपसे क्रियांवित करने की महती जिम्मेदारी है, हमारी शिक्षा प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरकर देश को वैश्विक शक्ति के रूपमें स्थापित करने की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने हेतु सभी शैक्षणिक संस्थानों में रिक्त पड़े पदों को तुरंत भरने की आवश्यकता है और सभी राज्यों को इस विषय में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है।