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Monday 12 August 2019 06:48:34 PM
अहमदाबाद। इसरो के संस्थापक और जनक डॉ विक्रम साराभाई की जयंती का शताब्दी समारोह आज अहमदाबाद में इसरो, अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों और साराभाई परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में शुरु हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि यह डॉ विक्रम साराभाई को सही अर्थों में करोड़ों भारतीयों की ओर से श्रद्धांजलि होगी, जब ‘विक्रम’ लैंडर चंद्रमा पर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि विक्रम साराभाई की विचारधारा भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक शक्तिशाली देश बनने की दिशा में ले जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डॉ होमी भाभा के निधन से भारतीय विज्ञान की दुनिया में एक शून्य पैदा हो गया था, उस समय विक्रम साराभाई ने अपने कौशल और नेतृत्व क्षमता के साथ विज्ञान को एक नया आयाम दिया। प्रधानमंत्री ने डॉ विक्रम साराभाई को विज्ञान के एक समर्पित योद्धा के रूपमें बताते हुए कहा कि उन्होंने विज्ञान के साथ-साथ भारत की संस्कृति और संस्कृत भाषा को भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने हमेशा छात्रों के लिए समय दिया। उन्होंने कहा कि डॉ विक्रम साराभाई हमारे लिए एक विरासत छोड़ गए हैं और इस विरासत को लोगों तक ले जाना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने स्कूली बच्चों को इसरो के ऑनलाइन स्पेस क्विज में भाग लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवन ने डॉ विक्रम साराभाई को एक महान संस्थान निर्माता करार दिया। उन्होंने कहा कि विक्रम साराभाई ने आधुनिक विज्ञान, भौतिक अनुसंधान और परमाणु ऊर्जा इत्यादि क्षेत्रों में संस्थानों की स्थापना के जरिए आधुनिक भारत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि विक्रम साराभाई के संस्थान आज उत्कृष्टता के केंद्र बन गए हैं। उन्होंने कहा कि इस अर्थ में डॉ विक्रम साराभाई भारत के सच्चे पुत्र हैं। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान डॉ विक्रम साराभाई की जीवनगाथा पर एक एलबम, इसरो पर एक कॉफी टेबल बुक और परमाणु ऊर्जा विभाग से स्मारक सिक्का जारी किया गया। इस अवसर पर एक बस के भीतर ‘स्पेस ऑन व्हील्स’ एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया।
डॉ विक्रम साराभाई शताब्दी कार्यक्रम के अंतर्गत सालभर प्रदर्शनियां, स्कूली बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं, पत्रकारिता पुरस्कार और विख्यात व्यक्तियों के व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे। शताब्दी कार्यक्रम आज से शुरु होकर पूरे भारत के 100 चयनित शहरों में आयोजित किया जाएगा और 12 अगस्त 2020 को तिरुवनंतपुरम में समापन समारोह के साथ सम्पन्न हो जाएगा। इस अवसर पर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ बीएन सुरेश, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के पूर्व निदेशक और डॉ साराभाई प्रमोद काले के करीबी सहयोगी, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ कस्तूरीरंगन, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष केएन व्यास, परमाणु ऊर्जा विभाग के पूर्व अध्यक्ष एमआर श्रीनिवासन और डॉ विक्रम साराभाई के पुत्र डॉ कार्तिकेय साराभाई भी उपस्थित थे।