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Friday 23 August 2019 02:26:47 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने एक स्पष्टीकरण जारी कर जानकारी दी है कि छोटी स्टार्टअप कम्पनियां, जिनका सालाना कारोबार 25 करोड़ रुपये तक है, उन्हें कर छूट का लाभ मिलता रहेगा। यह आयकर अधिनियम-1961 की धारा 80-आईएसी के प्रावधान के अंतर्गत है। इसके तहत कम्पनी के गठन के सात वर्ष के अंदर तीन वर्ष के लिए आयकर में 100 प्रतिशत छूट की सुविधा दी गई है। सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त सभी स्टार्टअप कम्पनियां, जो डीपीआईआईटी अधिसूचना की सभी शर्तें पूरा करती हैं, स्वतः ही धारा 80-आईएसी में दी गई छूट की पात्र नहीं बन जाती है, छूट प्राप्त करने के लिए धारा 80-आईएसी की शर्तों को पूरा करना भी आवश्यक है, इसलिए सालाना कारोबार की सीमा का निर्धारण धारा 80-आईएसी के प्रावधानों के तहत किया जाएगा और इसके लिए डीपीआईआईटी अधिसूचना को ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कुछ मीडिया रिपोर्टों से बनी भ्रम की स्थिति को साफ करते हुए कहा है कि आयकर कानून में अभी तक डीपीआईआईटी की 100 करोड़ रुपये सालाना कारोबार की सीमा का समावेश नहीं किया गया है। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि 19 फरवरी 2019 को जारी डीपीआईआईटी की अधिसूचना और आयकर अधिनियम-1961 की धारा 80-आईएसी में कोई विरोधाभास नहीं है, क्योंकि अधिसूचना के पैरा-3 में कहा गया है कि अधिनियम की धारा 80-आईएसी में छूट प्राप्त करने के लिए स्टार्टअप कम्पनी को धारा 80-आईएसी के उपखंड 1 और 2 में उल्लेखित शर्तों को पूरा करना होगा, तभी वे अंतर-मंत्रालयी प्रमाणन बोर्ड से प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन देने के योग्य मानी जाएंगी। इस प्रकार डीपीआईआईटी की अधिसूचना के अंतर्गत भी आयकर अधिनियम की धारा 80-आईएसी में कर छूट प्राप्त करने के लिए स्टार्टअप कम्पनी के वार्षिक कारोबार की सीमा 25 करोड़ रुपये ही है।
धारा 80-आईएसी में कर छूट के लिए स्टार्टअप कम्पनियों की पात्रता का उल्लेख है। इसके अनुसार जो कम्पनियां 1 अप्रैल 2016 को या इसके बाद गठित हुई है, जिनका वार्षिक कारोबार 25 करोड़ से अधिक नहीं है और जिनको अंतर मंत्रालयी प्रमाणन बोर्ड से प्रमाण पत्र मिला हो। इन कारणों से ही डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त कम्पनियों की संख्या तथा धारा 80-आईएसी के तहत छूट की योग्य कम्पनियों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर है। वित्त अधिनियम-2016 में धारा 80-आईएसी को जोड़ने का उद्देश्य लाभ आधारित कर छूट को धीरे-धीरे समाप्त करना तथा छोटी स्टार्टअप कम्पनियों को गठन के प्रारंभिक वर्ष में प्रोत्साहन प्रदान करना था, चूंकि लक्ष्य छोटी स्टार्टअप कम्पनियों को सहायता प्रदान करना था, इसलिए वार्षिक कारोबार की सीमा 25 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी।