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Friday 23 August 2019 03:04:37 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज नई दिल्ली में 'दयालुता' पर पहले विश्व युवा सम्मेलन का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि महात्मा गांधी एक महान और दूरदर्शी जननायक थे, उन्होंने कुछ सार्वभौमिक आदर्शों और मूल्यों का मानवीकरण किया। उन्होंने कहा कि यदि हम गांधीजी को किसी भी युग में रखते हैं तो हम पाते हैं कि वे सभी युगों के लिए प्रासंगिक हैं और यह बात वर्तमान समय में भी सत्य है। राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी हमारी वर्तमान चिंताओं जैसे शांति और सद्भावना की आवश्यकता, आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भी प्रासंगिक है। राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे विश्व में जो हिंसा और विद्रोह की घटनाएं हो रही हैं, उनमें अधिकांश पूर्वाग्रह पर आधारित हैं, ये हमें दुनिया को ‘हम लोग बनाम वे लोग’ के आधार पर दुनिया को देखने के लिए बाध्य करती हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गांधीजी के आदर्शों का पालन करते हुए हमें और हमारे बच्चों को उन लोगों के साथ बातचीत करने और घुलने-मिलने का प्रयास करना चाहिए, परस्पर बातचीत से हमारी समझ बेहतर होती है और इससे हमें पूर्वाग्रहों पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वाग्रहों को समाप्त करने में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, हमें अपनी शिक्षा प्रणाली की संरचना और इसके लक्ष्यों का मूल्यांकन करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा को साक्षरता से आगे ले जाने की जरूरत है, शिक्षा से छात्रों को अपने अंदर झांकने की प्रेरणा मिलनी चाहिए, उनकी आंतरिक शक्ति मजबूत होनी चाहिए, ताकि वे दूसरों के कष्टों को समझ सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों में वर्ग और वर्ण के विभेद को समाप्त कर सके।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि सम्मेलन में विश्व के युवा नेता भाग ले रहे हैं और विश्व को दयालु, संवेदनशील और शांतिपूर्ण बनाने में पूरी दुनिया के युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि सम्मेलन में भाग ले रहे युवा अपने पूरे जीवन में दयालुता के दूत के रूपमें कार्य करते रहेंगे। यूनेस्को, महात्मा गांधी शांति और सतत विकास शिक्षा संस्थान और मानव संसाधन विकास मंत्रालय दयालुता पर पहले विश्व युवा सम्मेलन के आयोजक हैं। सम्मेलन में 27 देशों के युवा प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य युवाओं में सहानुभूति, सद्भावना और जागरुकता की भावना जागृत करना है, ताकि वे अपने आपमें परिवर्तन कर सकें और अपने समुदायों में स्थायी शांति का माहौल बना सकें।