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Tuesday 26 March 2013 11:16:00 AM
नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण-ट्राई ने सेवा गुणवत्ता (मीटरिंग और बिलिंग सटीकता में प्रचलन) (संशोधन) नियमन 2013, जारी किया है। इन्हें सेवा गुणवत्ता नियमन 2006 के सेवा प्रदाताओं की मीटरिंग और बिलिंग प्रणाली के लेखा ढांचे में संशोधन के लिए लाया गया है, ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके। वर्ष 2006 में मीटरिंग और बिलिंग सटीकता के लिए प्रचलन संहिता नियमन जारी किये गये थे। इसमें मीटरिंग और बिलिंग के लिए मानक तय किये गये थे, जिसे सभी सेवा प्रदाताओं को अनुपालन करना है, ताकि बिलिंग संबंधी शिकायतों के मामलों में कमी लायी जाए और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।
इन नियमों में ट्राई ने अधिसूचित लेखाकारों के पैनलों में से किसी एक की मीटरिंग और बिलिंग की वार्षिक लेखा व्यवस्था की थी, जिसके तहत सेवा प्रदाताओं को हर साल 30 जून तक लेखा रिपोर्ट जमा कराने और किसी कमी के बारे में कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट पेश करना आवश्यक है। ट्राई ने 27 नवंबर, 2012 को एक सलाह पत्र जारी कर, संबद्ध पक्षों से लेखा रिपोर्ट या कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट देर से जमा करने, गलत या अधूरे लेखा या कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने तथा अधिक वसूले गये शुल्क की धन वापसी देर से करने पर वित्तीय जुर्माना लगाने के प्रस्ताव पर राय मांगी थी। साथ ही लेखा की गुणवत्ता में सुधार पर भी उनकी सलाह पूछी गई। इस बारे में 9 जनवरी, 2013 को दिल्ली में एक आम चर्चा भी करायी गई। संबद्ध पक्षों की राय पर विचार करने के बाद ट्राई ने सेवा गुणवत्ता (मीटरिंग और बिलिंग सटीकता प्रचलन संहिता) (संशोधन) नियमन 2013 जारी किया है।
इस नियमन के मुख्य बिंदू है-सेवा प्रदाताओं को ट्राई के अधिसूचित पैनल में से किसी एक लेखाकार से घरेलू और सेल्यूलर मोबाइल टेलीफोन सेवा के प्रत्येक सेवा के लिए सालाना मीटरिंग और बिलिंग व्यवस्था का लेखा परीक्षण (ऑडिट) कराना होगा। सबसे लोकप्रिय प्लान, नये प्लान, डाटा प्लान और स्पेशल टैरिफ वाउचर के ग्राहकों के एक महीने के कॉल डाटा रिकॉर्ड का लेखा हर तिमाही कराने की व्यवस्था की गई है, ताकि यह पूरे वर्ष के कार्यों का सूचक हो और ज्यादा वसूले गए शुल्क की वापसी में भी आसानी हो। सेवा प्रदाताओं को लेखा रिपोर्ट और कार्रवाई रिपोर्ट क्रमश: 31 जुलाई और 15 नवंबर तक ट्राई के पास जमा करानी होगी।
सेवा प्रदाता के लेखा रिपोर्ट और कार्रवाई रिपोर्ट जमा कराने में देरी पर हर हफ्ते दस लाख रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा। लेखा के पता लगाये गये सभी प्रकार की अधिक शुल्क वसूली को उपभोक्ताओं को दो महीने के अंदर वापस करना होगा। इसमें विफल रहने पर अधिक वसूला गया शुल्क सेवा प्रदाताओं को देना होगा। लेखाकारों को नियमित अंतराल पर लेखा संबंधी रिपोर्ट पेश किये जाने के अलावा अधिक वसूले गये शुल्क को उपभोक्ताओं को वापस किए जाने के बारे में मासिक रिपोर्ट ट्राई को देनी होगी। नियमन का पूरा ब्यौरा ट्राई की वेबसाईट (www.trai.gov.in) पर उपलब्ध है।