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Thursday 5 September 2019 04:44:34 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने गैरकानूनी क्रियाकलाप निवारण कानून-1967 में हाल ही में संशोधन करके जैश-ए-मुहम्मद के प्रमुख एवं संस्थापक मौलाना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के प्रमुख एवं संस्थापक हाफिज मुहम्मद सईद, लश्कर-ए-तैयबा के मुख्य संचालक कमांडर और उसके संस्थापक सदस्यों में से एक जकी-उर-रहमान लखवी, भारत से पाकिस्तान भागे मुंबई धमाकों के मुख्य अभियुक्त दाउद इब्राहिम कासकर को जोकि अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक संगठन चलाता है और अनेक आतंकवादी घटनाओं में सम्मिलित है को आतंकवादी घोषित करते हुए उनके नाम कानून की अनुसूची-4 में शामिल किए हैं। ये सभी भारत में आतंकवादी हमलों, उनमें भारी जान-माल के नुकसान के गुनहगार हैं। संयुक्तराष्ट्र भी इन्हें वैश्विक आतंकवादी घोषित कर चुका है। ज्ञातव्य है कि पहले जब आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित किया जाता था तो उससे जुड़े व्यक्ति आसानी से नाम परिवर्तित कर लेते थे और आतंकवादी गतिविधियां जारी रखते थे, लेकिन वे अब ऐसा नहीं कर सकते हैं।
भारत सरकार ने अपने नए आतंकवाद विरोधी कानून के तहत इन चारों आतंकवादी सरगनाओं को तो व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित किया ही है, इनके गुर्गे और इनके गैंग के चिन्हित और पकड़े गए लोग भी इस कानून की जद में होंगे। इस कानून में इन्हें फांसी देने तक का प्रावधान है। आतंकवाद विरोधी इस कानून के तहत इनकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी और भारत सरकार को अपने देश से बाहर जाकर भी इनपर स्ट्राइक की कार्रवाई का विकल्प मौजूद होगा। भारत सरकार ने इस साल अगस्त में किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम-1967 में संशोधन किया था, क्योंकि अभी तक किसी संगठन को ही आतंकवादी संगठन घोषित किया जा सकता था, किंतु निजी तौरपर किसी को आतंकवादी घोषित करने की इस कानून में व्यवस्था नहीं थी। गौरतलब है कि दूसरे देशों में आतंकवादी गतिविधियां रोकने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर भी गुनहगारों को आतंकवादी घोषित करने और उसपर या उसके विरुद्ध कार्रवाई करने का कानून है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन चारों आतंकवादियों के लिए संबंधित अधिसूचनाएं जारी कर दी हैं।
दाउद इब्राहिम और उसके गुर्गों का मुंबई और देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध धन उगाही, हत्याओं और इस्लाम के नाम पर आतंकवाद का नेटवर्क आज भी जारी है और उसके गुर्गे जेलों में भी हैं। दाउद इब्राहिम को पाकिस्तान ने छिपाया हुआ है और वह वहीं से बैठकर भारत के खिलाफ अपना आतंकवादी नेटवर्क चलाता है। भारत में उसके कुछ सदस्य मुठभेड़ों में मारे भी गए हैं। उल्लेखनीय है कि दाउद इब्राहिम और उसके गुर्गों ने देश की आर्थिक नगरी मुंबई में 1993 में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट किए थे, जिसमें करीब दो सौ साठ निर्दोष मारे गए थे और करीब एक हजार से ज्यादा घायल हुए थे। बम धमाकों के दौरान ही आतंकवादी सरगना दाउद इब्राहिम अपने परिवार के साथ पाकिस्तान भाग गया था, जहां वह अभी तक पाकिस्तानी सरकार के संरक्षण में छिपा बैठा है और पाकिस्तान उसकी अपने यहां मौजूदगी से इनकार करता आया है। दाउद इब्राहिम के गुर्गे भारत में सक्रिय हैं और अपराध एवं आतंकवाद में संलिप्त पाए जाते हैं। जहां तक जैश के सरगना मसूद अजहर का प्रश्न है तो वह भी भारत में कई आतंकवादी हमलों का गुनहगार है। हाफिज सईद और जकि उर रहनाम लखवी ने भी भारत में विभिन्न स्थानों पर बम धमाकों से तबाही मचाई है और ये तीनों भी पाकिस्तान से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
भारत सरकार और भारत के लिए यह त्रासदीपूर्ण और चिंताजनक बात है कि सीमापार इस्लामिक आतंकवाद को और इस्लामिक ज़ेहाद को भारत में भी स्थानीय समर्थन मिल रहा है। भारत में कई इस्लामिक तंज़ीमें, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में तो इसका खुलकर प्रदर्शन और भाषण होने लगा है। भारत के विभिन्न राज्यों एवं स्थानों पर स्थानीय प्रशासन की यह दिक्कत है कि यहां के कुछ राजनीतिक दल एवं उनके नेता और सामाजिक संगठन भी इस्लामिक वोट तुष्टिकरण के सामने चुप्पी मार जाते हैं, जिस कारण ये इस्लामिक आतंकवादी साक्ष्यों के अभाव के नाम पर कानून की पकड़ से बच जाते हैं। ये ही वो कारक हैं, जिनके कारण कश्मीर और देश के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में इस्लामिक चरमपंथ देश के सांप्रदायिक सौहार्द और जान-माल के लिए खतरा बना हुआ है। अमरीका के एक पूर्व रक्षामंत्री ने हाल ही में प्रकाशित अपनी किताब में पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश माना है और उन्होंने कहा है कि इस्लामिक आतंकवाद दुनिया की शांति व्यवस्था और कानून व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। केंद्रीय गृह मंत्रालय का मानना है कि भारत में गैरकानूनी क्रियाकलाप निवारण कानून-1967 में संशोधन से आतंकवादी सरगनाओं और उनके गुर्गों से निपटना पहले से ज्यादा आसान होगा।