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Thursday 5 September 2019 06:12:54 PM
अटारी/ अमृतसर। करतारपुर कॉरिडोर पर पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं लगती है, क्योंकि अटारी अमृतसर में करतारपुर साहिब कॉरिडोर शुरु करने के तौर-तरीकों पर पाकिस्तान के साथ भारत की तीसरे दौर की वार्ता के कोई उत्साहजनक नतीजे सामने नहीं आए। पाकिस्तान का कहीं इकरार तो कहीं इनकार का रवैया रहा। दरअसल पाकिस्तान का उद्देश्य सिख समुदाय को भारत के खिलाफ उकसाने का है। जिस पाकिस्तान ने भारत के पंजाब को अलग कर खालिस्तान के नाम पर भारत के विभाजन के लिए लंबे समय तक अपने यहां आतंकवादी शिविर चलाए हों और अंततः अपनी योजना में वह बुरी तरह विफल रहा हो, वह पाकिस्तान अपनी तरफ से करतारपुर कॉरिडोर के श्रद्धालुओं के लिए कितना ईमानदार होगा, इसपर एक गंभीर प्रश्न है। पाकिस्तान इस कॉरिडोर का इस्तेमाल भारत में आतंकवादियों की घुसपैंठ के लिए करना चाहता है, जिसे भारत भी समझ रहा है और भारत इस मामले में फूंक-फूंककर कदम उठा रहा है। पाकिस्तान के साथ सभी बैठकों में भारत ने कॉरिडोर की रणनीति पर जो चिंताएं प्रकट की हैं, पाकिस्तान ने उनका समुचित उत्तर नहीं दिया है, तथापि सिख समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए भारत की करतारपुर कॉरिडोर में पूरी दिलचस्पी है।
अटारी अमृतसर बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, पंजाब सरकार, भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल थे। बैठक में पहले हुई संयुक्त सचिव स्तर की बैठकों के दो दौर और तकनीकी स्तर की बैठकों के चार दौर की प्रगति की समीक्षा की गई। संयुक्त सचिव स्तर पर पहले दौर की चर्चा 14 मार्च 2019 को अटारी भारत में की गई थी, इसके बाद 14 जुलाई 2019 को वाघा पाकिस्तान में दूसरे दौर की चर्चा हुई। इन चर्चाओं पर अगले कदम के तहत तकनीकी स्तर की बैठकों के चार दौर भी हुए। इन बैठकों में दोनों पक्षों ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर के लिए सड़क एवं बुनियादी सुविधाओं में समुचित सामंजस्य स्थापित करने, पाकिस्तान की ओर से पुल का निर्माण किए जाने तक अस्थायी सर्विस रोड की आवश्यकता और आपात स्थिति में श्रद्धालुओं एवं उनकी समुचित आवाजाही से जुड़ी प्रक्रियाओं से संबंधित विवरण साझा करने की रूपरेखा तथा प्रारूप से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। पाकिस्तान बार-बार अपनी रणनीतियां बदलता है और सकारात्मक पहलुओं पर या तो जवाब नहीं देता है या फिर असमर्थता और दबी ज़ुबान से असहमति जताता है। भारत के हुक्मरानों के लिए यह सबसे बड़ी चिंता है कि पाकिस्तान की रणनीतियां बदलती रहीं तो करतारपुर कॉरिडोर समय पर कैसे पूरा हो सकता है?
करतारपुर कॉरिडोर बैठक में दोनों पक्षों में कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर सहमति भी हुई है, जिनके अंतर्गत भारतीय श्रद्धालुओं की वीजा मुक्त यात्रा पर समझौता है, जिसमें उनकी आस्था को लेकर कोई पाबंदी नहीं होगी, ओसीआई कार्ड रखने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति भी कॉरिडोर का उपयोग करके पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जा सकते हैं। हर दिन करीब 5,000 श्रद्धालू कॉरिडोर का उपयोग करके पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जा सकते हैं, इससे भी अधिक श्रद्धालू विशेष अवसरों पर वहां जा सकते हैं, जो पाकिस्तान की ओर से क्षमता विस्तार पर निर्भर करेगा। पाकिस्तान ने इस संख्या को बढ़ाने का आश्वासन दिया है। कॉरिडोर पूरे साल सप्ताह के सातों दिन खुला रहेगा, श्रद्धालुओं के पास अकेले या समूह के रूपमें और पैदल यात्रा करने का विकल्प होगा। दोनों पक्षों ने बुधि रावी चैनल पर पुल बनाने पर सहमति व्यक्त की है। पाकिस्तान की तरफ से पुल का निर्माण किए जाने तक दोनों पक्ष अस्थायी सर्विस रोड के क्रॉसिंग प्वाइंट्स के लिए सहमत हुए हैं। पाकिस्तान पक्ष श्रद्धालुओं के लिए 'लंगर' और 'प्रसाद' तैयार करने एवं वितरण के लिए पर्याप्त प्रावधान करने पर भी सहमत हुआ है।
अटारी बैठक में पाकिस्तान के अड़ियल रुख के कारण समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है, क्योंकि पाकिस्तान ने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब की यात्रा के लिए श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क लेने पर विशेष जोर दिया है, जोकि करतारपुर साहिब कॉरिडोर की भावना के प्रतिकूल है। पाकिस्तान ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उनके साथ गुरुद्वारा परिसर में प्रोटोकॉल अधिकारियों की उपस्थिति की अनुमति देने में भी अनिच्छा दिखाई है। भारत ने पाकिस्तान से इस बारे में अपने रुख पर फिरसे विचार करने का आग्रह किया है। इसके अलावा गुरु पर्व और बैसाखी जैसे विशेष अवसरों पर अतिरिक्त दस हजार श्रद्धालुओं को अनुमति देने के लिए भारत के लगातार अनुरोध के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी तरफ ढांचागत बाधाएं होने का हवाला दिया है और इसके साथ ही उसने भारत को यह बताया है कि इससे जुड़ी आवश्यक क्षमता सुनिश्चित हो जाने पर वह श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि कर सकता है।
भारत ने पाकिस्तान के सामने श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के महत्व को भी रेखांकित किया है। इस संदर्भ में भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान में रह रहे उन व्यक्तियों या संगठनों के बारे में चिंताओं को साझा किया है, जो तीर्थयात्रा को बाधित कर सकते हैं और इसके साथ ही इस अवसर से अनुचित लाभ उठाकर कर श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत कर सकते हैं। वाघा में आयोजित पिछली बैठक में इस बारे में भारतीय चिंताओं से अवगत कराने के लिए पाकिस्तान को एक विस्तृत डोजियर भी सौंपा गया था। भारत की ओर से यात्री टर्मिनल सहित एक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जो एक दिन में 15000 से भी अधिक श्रद्धालुओं की आवाजाही सुनिश्चित कर सकता है। इसे 31 अक्टूबर 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर क्रॉसिंग प्वाइंट तक 4-लेन वाले हाईवे का निर्माण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संतोषजनक ढंग से प्रगति पर है, इसका निर्माण कार्य सितंबर 2019 के आखिर तक पूरा हो जाएगा। वहां एक मजबूत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। भारतीय पक्ष ने कहा है कि श्रीगुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती पर करतारपुर साहिब कॉरिडोर के जरिए तीर्थयात्रा शुरु करने के लिए भारत की ओर से सभी आवश्यक सुविधाएं बाकायदा सुनिश्चित कर दी जाएंगी।