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Friday 6 September 2019 05:35:54 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षक दिवस पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में एक समारोह में देश के 46 शिक्षकों को शिक्षा विकास और सुधार में उनके असाधारण योगदान के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि हमारे स्कूलों में राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण की आधारशिला रखी जाती है और शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थी को अच्छा इंसान बनाना है। उन्होंने कहा कि शिक्षक यह कार्य विद्यार्थियों में ईमानदारी और अनुशासन का महत्व बताकर करते हैं और इन मूल्यों वाला इंसान प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा साबित होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनाकर राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में योगदान करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज विश्व सूचना के युग से ज्ञान के युग में तो बढ़ रहा है, मगर केवल ज्ञान से ही मानव सभ्यता की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, ज्ञान के साथ-साथ विवेक आवश्यक है, जब ज्ञान का विवेक के साथ मेल होगा तभी मानव समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस वैश्विक स्पर्धा विश्व में हमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मानव करूणा, डिजिटल विद्या और चरित्र निर्माण के बीच संतुलन बनाना होगा, केवल ऐसे विवेकसंगत ज्ञान के आधार पर ही हम जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और हिमनद के पिघलने जैसी वर्तमान चुनौतियों से नहीं निपट सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों को जल संरक्षण का महत्व बताकर जल संरक्षण के राष्ट्रीय अभियान में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने शिक्षकों से ज्ञान और विवेक से सम्पन्न नई पीढ़ी तैयार करने का आग्रह किया, ताकि नई पीढ़ी सभी समकालीन चुनौतियों का सफल समाधान कर सके। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मान देने का उद्देश्य देश के कुछ श्रेष्ठ शिक्षकों के विशिष्ट योगदान को मान्यता देना तथा उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपने संकल्प और परिश्रम के माध्यम से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया, बल्कि अपने विद्यार्थियों के जीवन को समृद्ध बनाया है।
शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मान के लिए इस वर्ष स्वनामांकन प्रक्रिया के बाद जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्तरीय चयन प्रक्रिया पूरी की गई। स्वतंत्र राष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने 46 शिक्षकों के नाम की सिफारिश की। मानक के अनुसार ऐसे शिक्षकों का चयन किया जाना था, जिन्होंने अपने कार्य में नवाचार को दिखाया तथा स्कूल तथा विद्यार्थियों में मूल्यवर्धन किया। मनोनीत शिक्षकों ने स्वतंत्र निर्णायक मंडल के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया। निर्णायक मंडल में वरिष्ठ शिक्षाविद थे। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि निर्णायक मंडल के समक्ष सभी को अपने योगदान और कार्यों को प्रस्तुत करने का अवसर मिला। नई योजना की विशेषता पारदर्शिता, निष्पक्षता तथा उत्कृष्टता और कार्य प्रदर्शन को सम्मानित करना है। शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मानस्वरूप रजत पदक, प्रमाणपत्र तथा 50 हजार रुपये की सम्मान राशि शामिल है। नई योजना की विशेषताएं इस प्रकार हैं-शिक्षकों से ऑनलाइन स्वनामांकन mhrd.gov.in पर आमंत्रित किए गए। वेबपोर्टल को भारत के प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज ने विकसित किया था और संपूर्ण सॉफ्टवेयर सुचारू रूपसे चला।
शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मान के लिए देशभर के शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किए गए थे। सभी नियमित शिक्षक इस पुरस्कार के पात्र थे और न्यूनतम सेवा की कोई आवश्यकता नहीं थी। इससे मेधावी युवा शिक्षक आवेदन करने में सक्षम हुए। सम्मानित किए जाने वाले शिक्षकों की संख्या को अधिकतम 47 किया गया, जिससे शिक्षक सम्मान की प्रतिष्ठा बहाल हुई। अंतिम चयन में किसी भी राज्य, केंद्रशासित प्रदेश या संगठन का कोटा नहीं था। इससे शिक्षकों को पुरस्कारों के लिए स्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। राष्ट्रीयस्तर पर स्वतंत्र निर्णायक मंडल ने अंतिम चयन किया। निर्णायक मंडल ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों तथा संगठनों द्वारा अग्रसारित उम्मीदवारों की सूची की समीक्षा की। प्रत्येक मनोनीत शिक्षक ने निर्णायक मंडल के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया, जिससे अंतिम मूल्यांकन किया गया और इस वर्ष के शिक्षक पुरस्कारों के लिए 46 नामों की सिफारिश की गई। कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और राज्यमंत्री धोत्रे संजय शामराव भी उपस्थित थे।