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Monday 9 September 2019 02:18:10 PM
गुवाहाटी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम में उत्तर-पूर्व काउंसिल की 68वीं बैठक में हिस्सा लिया। अमित शाह ने इस अवसर पर उत्तर-पूर्व की भाषाओं और संस्कृतियों के विशेष महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि उत्तर-पूर्व में सैकड़ों जनजातियां और सामाजिक ग्रुप हैं, सैकड़ों बोलियां बोली जाती हैं और हमारा दायित्व है कि हम उत्तर-पूर्व की संस्कृति और बोलियों एवं भाषाओं को संरक्षित रखते हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। गृहमंत्री अमित शाह ने भारतरत्न भूपेन दा को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उत्तर-पूर्व ने देश को महान कलाकार दिया, भूपेन दा एक भाषा के नहीं बल्कि संगीत का मर्म जानने वाले कलाकार थे, जिनका पूरा जीवन उत्तर-पूर्व की संस्कृति के लिए समर्पित था। उनका कहना था कि उत्तर-पूर्व के संगीत और साहित्य को छोड़कर यदि विकास किया जाता है तो उसके कोई मायने नहीं होंगे।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उत्तर पूर्व और शेष भारत का जुड़ाव पुरातन काल से है, जिसका जिक्र महाभारत के समय से मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां विकास को गति दी है और आजादी के बाद 70 साल के विकास की तुलना में उत्तर-पूर्व का 5 साल में कहीं अधिक विकास हुआ है और आज उत्तर-पूर्व विकास के लिए जाना जाता है। अमित शाह ने कहा कि उत्तर-पूर्व का विकास नरेंद्र मोदी सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है और जो विकास यात्रा 2014 में शुरु की गई थी, 2022 आते-आते पूर्णता को प्राप्त करेगी। गृहमंत्री ने कहा कि उत्तर-पूर्व के मात्र 8 राज्य नहीं बल्कि वे अष्टलक्ष्मी हैं, जो संपूर्ण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व के आठों राज्य के मुख्यमंत्री गैर कांग्रेसी हैं। अमित शाह ने कहा कि जो गांव विकास में पीछे हैं उन्हें साथ में शामिल करना होगा, क्योंकि जब गांव विकसित होंगे, जिले विकसित होंगे, तब राज्य विकसित होगा और तभी समग्र रूपसे देश विकसित होगा। उन्होंने कहा कि विकास का प्रमाण हमेशा जनता देती है और 2019 में जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत देकर यह प्रमाणित कर दिया।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले एनईसी केवल एडवायजरी काउंसिल थी, किंतु अब यह प्लानिंग और इंप्लीमेंटेशन काउंसिल के रूपमें भी कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि 2022 तक उत्तर-पूर्व के सभी 8 राज्य रेल तथा वायु कनेक्टिविटी से जुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि 13वें फाइनेंस कमीशन में उत्तर-पूर्व का बजट 3376 करोड़ था, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने 14वें फाइनेंस कमीशन में 1.5 गुना बढ़ाकर 5053 करोड़ रुपये कर दिया है। उन्होंने कहा कि एनईसी बजट का 30 प्रतिशत हिस्सा अति पिछड़े तथा अविकसित क्षेत्रों के लिए खर्च किया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि ढाका के साथ हुए सीमा समझौते से उत्तर-पूर्व का देश के विकास में योगदान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यहां की प्राकृतिक संपदा और असीम संभावनाओं को देखते हुए मैं कह सकता हूं कि विकास कार्य होने से उत्तर-पूर्व के राज्य देश के जीडीपी कंट्रीब्यूशन में शीर्ष स्थान पर होंगे। उन्होंने कहा कि एनआरसी का काम समय व मर्यादा के अंदर हुआ है और हमारा यह संकल्प है कि भारत सरकार एक भी घुसपैठिए को यहां रहने नहीं देगी। उन्होंने संसद में धारा 370 बिल पर हुए विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि विरोध का अधिकार लोकतंत्र में है, लेकिन धारा 371 को जोड़कर भ्रामक वक्तव्य दिए गए। उन्होंने बताया कि धारा 370 अस्थाई व्यवस्था थी, जबकि धारा 371 के विभिन्न उपबंधों में उत्तर-पूर्व के लिए विशेष प्रावधान हैं और नरेंद्र मोदी सरकार धारा 371 का संपूर्ण सम्मान करती है और उसके साथ कोई छेड़खानी नहीं की जाएगी।
अमित शाह ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते कि उत्तर-पूर्व में शांति रहे या उत्तर-पूर्व में विकास कार्यों में सहायक हो उन लोगों में यह भ्रम की स्थिति है। अमित शाह ने उत्तर-पूर्व के राज्यों में सीमा विवाद के संबंध में कहा कि जब भारत और बांग्लादेश का सीमा विवाद समाप्त हो सकता है तो राज्यों के बीच सीमा विवाद को क्यों नहीं सुलझाया जा सकता? उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व के सीमा विवाद को सुलझाने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्व में आतंकवाद की घटनाओं में बहुत कमी हुई है, किंतु अभी भी इसपर कार्य किया जाना है। अमित शाह ने कहा कि जो हथियार डालेगा उसके लिए हमारा मन खुला है, लेकिन केंद्र तथा राज्य सरकारों की नीति आतंकवाद का साथ देने वालों के लिए जीरो टॉलरेंस की होनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए उत्तर-पूर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है तथा उत्तर-पूर्व की कानून व्यवस्था के लिए 2022 के लक्ष्य तय करने की आवश्यकता है। बैठक में केंद्रीय पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।