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लद्दाख संविधान की छठी सूची में करें शामिल-साई

'जनजातियों के संरक्षण अधिकार और तीव्र विकास के लिए जरूरी'

इस संदर्भ में केंद्रीय गृहमंत्री व जनजातीय कार्यमंत्री को लिखा पत्र

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 12 September 2019 02:36:27 PM

nand kumar sai

नई दिल्ली। भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा के लिए डॉ नंद कुमार साई की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की 199वीं बैठक हुई, जिसमें आयोग ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे करगिल और लेह जिलों को मिलाकर केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का सृजन हुआ है। डॉ नंद कुमार साई ने कहा कि आयोग का मानना है कि लद्दाख क्षेत्र के जनजातियों की आकांक्षाओं को पूरा करने में इससे काफी मदद मिलेगी। इससे पहले 27 अगस्त 2019 को आयोग की 118वीं बैठक में इस संदर्भ में विचार-विमर्श किया गया था। गृह मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय की 4 सितंबर 2019 को भी बैठक हुई थी। आयोग ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि नव-सृजित केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख पहले से ही देश में जनजाति की अधिकता वाला एक क्षेत्र है।
डॉ नंद कुमार साई ने बताया कि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या लेह में 66.8 प्रतिशत, नुब्रा में 73.35 प्रतिशत, खलस्ती में 97.05 प्रतिशत, कारगिल में 83.49 प्रतिशत, सांकू में 89.96 प्रतिशत और ज़ांस्कर क्षेत्रों में 99.16 प्रतिशत हैं। हालांकि क्षेत्र के सुन्नी मुसलमान और कई समुदायों को अधिकारिक आंकड़े में शामिल नहीं किया गया है, जो अनुसूचित जनजाति के दर्जे के लिए दावा कर रहे हैं, इसे ध्यान में रखते हुए लद्दाख क्षेत्र में कुल जनजातीय जनसंख्या 97 प्रतिशत से अधिक है। इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियां बसती हैं जैसे-बाल्टी, बेडा, बॉट, बोटो, ब्रोकपा, ड्रोकपा, डार्ड, शिन, चांगपा, गर्रा, सोम और पुरीगपा। बैठक में आयोग ने इस बात की ओर ध्यान दिया है कि केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के सृजन से पहले लद्दाख क्षेत्र के लोगों के कुछ अधिकार थे, जिनमें भूमि का अधिकार शामिल था, जिसके तहत देश के अन्य हिस्से के लोग लद्दाख में जमीन खरीदने अथवा अधिग्रहित करने से प्रतिबंधित थे। इसी प्रकार लद्दाख क्षेत्र में ड्रोकपा, बलती और चांगपा आदि जैसे समुदायों की कई विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत विद्यामान हैं, जिन्हें संरक्षित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
डॉ नंद कुमार साई ने सुझाव दिया कि केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए, इससे शक्तियों का लोकतांत्रिक हस्तांतरण, क्षेत्र की विशिष्ट संस्कृति का संरक्षण और प्रोत्साहन, भूमि अधिकार सहित कृषि अधिकारों का संरक्षण और लद्दाख क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने गृहमंत्री और केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री को पत्र लिखकर भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को शामिल करने के संदर्भ में आयोग के सुझाव से अवगत भी कराया है।

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