स्वतंत्र आवाज़
word map

जैव आतंकवाद दुनिया के लिए बड़ा खतरा-रक्षामंत्री

'सैन्‍य चिकित्‍सा सेवाएं युद्ध क्षेत्र के खतरों के प्रभावी उपाय तलाशें'

शंघाई सहयोग संगठन का पहला सैन्‍य चिकित्‍सा सम्‍मेलन हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 13 September 2019 02:12:16 PM

shanghai cooperation organization's first military medical conference

नई दिल्ली। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के सदस्‍य देशों की सैन्‍य चिकित्‍सा सेवाओं से युद्ध क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी से पैदा हुए खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने के उपाय तलाशने को कहा है। रक्षामंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन के पहले सैन्‍य चिकित्‍सा सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि युद्ध के परमाणु, रासायनिक और जैविक तरीके सेना की मौजूदा चुनौतियों को और जटिल बना रहे हैं, ऐसे में एएफएमएस की इन चुनौतियों की पहचान करने, मानव को इन्‍हें सहने की सीमाओं को परिभाषित करने तथा मानव स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने वाले इनके दुष्‍प्रभावों को कम करने के बारे में सुझाव देने में बड़ी भूमिका है। रक्षामंत्री ने जैव आतंकवाद को आज के समय दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताते हुए इससे निपटने के लिए क्षमता विकास के महत्‍व को रेखांकित किया। उन्‍होंने जैव आतंकवाद को एक संक्रामक रोग बताते हुए कहा कि इस खतरे से निपटने के लिए सशस्‍त्र सेनाओं को सबसे अधिक तैयारी करनी होगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एएफएमएस से कहा कि इन खतरों से हताहत प्रबंधन रणनीतियों के संबंध में एक स्पष्ट, प्रभावी और पूर्वाभ्यास वाले प्रोटोकॉल बनाएं। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल और रणनीतियां बनाते वक्‍त केवल परिचालन वातावरण और संचालन की प्रकृति ही नहीं, बल्कि इसके साथ ही एएफएमएस की क्षमताओं का भी ध्‍यान रखना होगा। रक्षामंत्री ने संगठन के सदस्‍य देशों के बीच प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहयोग बनाए रखने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे अंतरराष्‍ट्रीय सीमाओें से परे जाकर भी जरूरत पड़ने पर समय रहते सहायता पहुंचाई जा सकेगी। उन्‍होंने कहा कि बड़ी आपदाओं से होने वाले नुकसान कईबार उस देश के संसाधनों और सहायता उपायों की क्षमताओं से ज्‍यादा हो सकते हैं, ऐसे में सशस्‍त्र सेनाओं की चिकित्‍सा सेवाएं बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि रोगियों की सुरक्षा के बारे में जागरुकता लाए जाने की जरूरत है, जिससे सैन्‍य चिकित्‍सा सेवाएं ज्‍यादा प्रभावी तरीके से काम कर पाएंगी। उन्‍होंने कहा कि रोगियों की सुरक्षा उनकी बीमारियों की सही पहचान करने और उसके अनुरूप दवा देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। रोगियों को सही इलाज के लिए सही दवा देने की प्रक्रिया भी महत्‍वपूर्ण है।
रक्षामंत्री ने कहा कि एससीओ एक तरह से दुनिया के पूर्वी हिस्‍से का एक बड़ा गठबंधन है, एशिया प्रशांत क्षेत्र में इसके केंद्रित होने से यह इस क्षेत्र का एक बुनियादी सुरक्षा स्‍तंभ साबित हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि आबादी और भौगोलिक क्षेत्र के नजरिये से एससीओ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, इसके सदस्‍य देशों का दुनिया के 42 प्रतिशत भू-भाग पर कब्‍जा है और दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी इन्‍हीं देशों में रहती है और ये दुनिया के सकल घरेलू उत्‍पाद में 20 प्रतिशत का योगदान करते हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत एससीओ के साथ सकारात्‍मक सहयोग कर रहा है, उसने रूस के एक्‍स पीस मिशन में काफी सक्रियता के साथ भाग लिया था। इस समय भी रूस में आयोजित एक्‍स सेंटर-2019 में एक भारतीय दल इसमें हिस्‍सा ले रहा है। उन्होंने कहा कि एससीओ के सदस्‍य देशों के बीच नियमित रूपसे संयुक्‍त सैन्‍य अभ्‍यास किया जाता है, जिसका उद्देश्‍य आतंकवाद और अन्‍य बाहरी खतरों से निपटने के लिए परस्‍पर सहयोग को बढ़ावा देना है। एकीकृत सैन्‍य कमान के अध्‍यक्ष और वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि युद्ध तकनीक में नई प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल से युद्ध में हताहतों की संख्‍या बढ़ने का खतरा रहता है, ऐसे में यह जरूरी है कि एएफएमएस युद्ध की नई तकनीक के अनुरूप खुद को भलीभांति ढाल सके। उन्‍होंने कहा कि दुनिया के ज्‍यादातर देश एक समान खतरों का सामना कर रहे हैं।
एकीकृत रक्षा स्टाफ के अध्यक्ष एवं चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएस राजेश्वर ने कहा कि भारत ने सम्मेलन की मेजबानी करने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि सेना के जवानों की शारीरिक क्षमता को सही बनाए रखना एक सैनिक की प्रभावशीलता और दक्षता को बनाए रखने में आरोग्‍य एक महत्वपूर्ण घटक है। उन्होंने कहा कि सहकारिता को बढ़ाने और क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता है, ताकि सभी देशों के समक्ष मौजूद आम चुनौतियों को मिलकर दूर किया जा सके। एससीओ के अध्यक्ष रूस के मेजर जनरल क्रेन्युको पावे येवगेनीयेविच ने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन से सैन्य चिकित्सा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को काफी बढ़ावा मिलेगा। सम्मेलन में एएफएमएस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी, उप मुख्य एकीकृत रक्षा सेवा (चिकित्सा) एयर मार्शल राकेश कुमार रान्याल और एससीओ सदस्य राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]