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Friday 13 September 2019 02:44:26 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि किसी भी लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए लोगों को विकास प्रक्रिया में समान भागीदार बनाया जाना चाहिए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2017 बैच के अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए वेंकैया नायडू ने सभी स्तरों पर जनता के हित में पारदर्शी और प्रभावी शासन प्रदान करने का आह्वान किया। उन्होंने अनावश्यक नियम और विनियमों को समाप्त करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपना ज्यादा समय लोगों से नियमित रूपसे संवाद बनाए रखने और उनकी समस्याएं सुनने में बिताएं। उन्होंने कहा कि बाहर निकलने पर ही असली चीजों का पता लगता है।
उपराष्ट्रपति ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि वे स्वराज्य को सुराज्य में बदलने में अग्रणी भूमिका निभाएं और एक भ्रष्टाचार मुक्त, जनहित केंद्रित तथा कारोबार अनुकूल शासन सुनिश्चित करें, ताकि विकास का फायदा लोगों के जीवन में सुधार के रूपमें दिखे। वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व में भारत सरकार ने कई ऐतिहासिक प्रशासनिक सुधारों की पहल की है। उन्होंने अधिकारियों को इन सुधारों को प्रभावी तरीके से लागू करने का सुझाव दिया। उपराष्ट्रपति ने उनसे सूचना प्रौद्योगिकी का पूरा इस्तेमाल सरकारी योजनाओं को लाभार्थियों को सही तरीके तक पहुंचाने के लिए करने को कहा। उपराष्ट्रपति ने प्रशासनिक सेवा अधिकारियों को देश के आर्थिक, धार्मिक, भाषाई और सामाजिक विभिन्नताओं को आपस में जोड़ने का सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा सरदार वल्लभभाई पटेल के सोच की उपज थी, जो सक्षम प्रशासनिक अधिकारियों की जरूरत को समझते थे।
उपराष्ट्रपति ने सरदार पटेल को उद्धृत करते हुए कहा कि आप एक संगठित भारत की तबतक कल्पना नहीं कर सकते, जबतक आपके पास एक ऐसी बेहतर अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा नहीं हो, जो स्वतंत्र रूपसे अपनी बात रख सके। उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों से अधिक सशक्त उत्तरदायी, समावेशी और समग्र दृष्टिकोण अपनाने तथा आम लोगों की समस्याओं को समझने और उसका समाधान निकालने को कहा। उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों से पारदर्शी और जवाबदेही को अपना सिद्धांत बनाने तथा सभी का साथ सबका विकास और सबका विश्वास सिद्धांत की भावना के साथ समाज में सभी वर्गों की सेवा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक समावेशी और तीव्र आर्थिक विकास देश की कई समस्याओं का निराकरण कर सकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा, उग्रवाद और माओवादी अतिवाद देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की प्रक्रिया को पटरी से न उतरने दें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसानों का जीवन बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों की स्थिति में सुधार लाना प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ, फिट इंडिया और ऐसे ही अन्य अभियानों को जनांदोलन का रूप दें। उन्होंने अधिकारियों से कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने को कहा। इस अवसर पर डीओपीटी के सचिव डॉ सी चंद्रमौली, अपर सचिव के श्रीनिवास और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।