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Saturday 14 September 2019 05:18:42 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि संविधान निर्माता जब राजभाषा को आकार दे रहे थे, तब कई तरह के मत-मतांतर थे, लेकिन विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों को देखकर, समझकर तथा उस समय की स्थिति का आकलन, अवलोकन और चिंतनकर संविधान निर्माता एकमत पर पहुंचे और हिंदी को संविधान सभा ने राजभाषा का दर्जा प्रदान किया। अमित शाह ने कहा कि संविधान सभा में देश के कोने-कोने का प्रतिनिधित्व था और उनका वह निर्णय आज भी एकता और अखंडता को मजबूत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अमित शाह का कहना था कि भारत को भाषा की समृद्धि का वरदान सबसे ज्यादा प्राप्त है, देश में लगभग 122 भाषाएं और 19500 से अधिक बोलियां शामिल हैं, जिनका समृद्ध इतिहास है। अमित शाह ने कहा कि भारत की भाषा सबसे समृद्ध है और हमें गुलामी के कालखंड के भाव को छोड़ना होगा, बच्चों से अपनी भाषा में बात करनी होगी। उनका कहना था कि भाषा तभी जीवित रहती है, जब समाज उसका उपयोग करता है, इसलिए हमें नई पीढ़ी को अपनी भाषा के साथ जोड़कर गौरवांवित महसूस कराना होगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुनिया के कई देश अपनी भाषा छोड़ चुके हैं और वह देश अपना अस्तित्व भी खो चुके हैं। उन्होंने कहा कि भाषा ही व्यक्ति को अपने देश, संस्कृति और मूल के साथ जोड़ती है, आज आत्म चिंतन और आत्मावलोकन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बुद्धि, ज्ञान और मेधा ही संस्कृति की रचना करते हैं, इसलिए आवश्यक है कि हमें इस दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। अमित शाह का यह भी कहना था कि अगर भाषा और बोलियां खोते हैं तो विचार प्रवाह से भी कटाव हो जाता है। गृहमंत्री ने कहा कि अनेक भाषा और बोलियां हमारी ताकत हैं, किंतु देश में एक ऐसी भाषा होनी चाहिए, जो सबलोग समझते हों, देश में हिंदी भाषा को प्रचारित, प्रसारित तथा लगातार संशोधित करना और उसके साहित्य को लगातार समृद्ध करना हमारा राष्ट्रीय दायित्व है। अमित शाह ने कहा कि यह कार्यक्रम सभागारों का नहीं, बल्कि जनता का कार्यक्रम होना चाहिए। उनका कहना था कि हिंदी के आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाना होगा। अमित शाह ने कहा कि अगले वर्ष हिंदी दिवस का कार्यक्रम राजधानी के बाहर सार्वजनिक स्थान पर केवल एक दिन का नहीं, बल्कि सप्ताहभर मनाया जाए। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को ताकत दी थी।
आचार्य विनोबा भावे को याद करते हुए अमित शाह ने कहा कि विश्व की सभी भाषाओं का सम्मान करते हुए आचार्य विनोबा भावे ने हिंदी को प्रबल समर्थक के रूपमें सहयोग दिया था। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया, पुरुषोत्तमदास टंडन जैसे कई विद्वानों ने हिंदी का प्रचार-प्रसार किया। उनका कहना था कि शासन की भाषा वह होनी चाहिए जो लोकजन की भाषा हो। अमित शाह ने कहा कि गुलामी के कालखंड से लंबे समय तक लघुताग्रंथी पनपती रही, परंतु अटल बिहारी बाजपेई ने यूएन में हिंदी में भाषण देकर हिंदी भाषा को गौरव प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने संयुक्तराष्ट्र में हिंदी समाचार बुलेटिन शुरु करवाया था और हिंदी टि्वटर अकाउंट खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर भी हिंदी में भाषण देते हैं और विश्व को समझाया है कि भारत में अर्थव्यवस्था के साथ संस्कृति का चिंतन भी मूल है। अमित शाह ने कहा कि उत्तर-पूर्व काउंसिल में यह जानकर प्रसन्नता हुई कि वहां के बच्चे हिंदी सीखना चाहते हैं, केंद्र सरकार के प्रयासों से उसे सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने शिक्षाविदों को हिंदी के प्रयोग संबंधी प्रतियोगिताएं रखने को कहा।
अमित शाह ने कहा कि कानून, विज्ञान तथा औषधि के क्षेत्र में अभी बहुत काम बाकी है, लेकिन हम यहां तक आ गए हैं तो आगे की लड़ाई भी जीतेंगे। अमित शाह ने कहा कि 2024 तक हिंदी एक बड़ा मुकाम हासिल करेगी और हिंदी को बढ़ाने का मतलब कभी यह नहीं है कि दूसरी भाषा की उपेक्षा हो, सभी भाषाओं को साथ रखते हुए हिंदी को सर्व-स्वीकृत भाषा बनाया जाएगा। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी समारोह में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि भाषा किसी भी राष्ट्र की पहचान होती है और भाषा वह परिधान है, जिसमें हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी अधिकांश देशवासियों की अभिलाषाओं की अभिव्यक्ति है और अपनी व्यापकता एवं लोकप्रियता के कारण हिंदी लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। नित्यानंद राय ने कहा कि संविधान ने हमसब पर हिंदी के विकास और प्रचार-प्रसार का दायित्व सौंपा है, देश के एक कोने से दूसरे कोने तक सामंजस्य बिठाने में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है तथा प्रांतीय भाषाओं के साथ हिंदी का विकास करना समय की आवश्यकता है।
गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि उनकी मातृभाषा तेलुगु है, लेकिन उन्हें हिंदी से भी उतना ही प्रेम है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास मातृभाषा और राजभाषा का साथ-साथ विकास करना है, हिंदी शुरू से ही देश के अलग-अलग प्रांतों में बोली जा रही है और हिंदी राष्ट्र की पहचान होने के साथ-साथ हमारा स्वाभिमान भी है। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान अनेकता में एकता है तथा दक्षिण भारतीयों ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में सदैव महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। जी किशन रेड्डी ने कहा कि आज विदेशी कंपनियां व्यापार बढ़ाने के लिए हिंदी भाषा का सहारा ले रही हैं। हिंदी दिवस समारोह में सचिव राजभाषा अनुराधा मित्रा ने कहा कि हमारा देश अनेक भाषाओं और विविध संस्कृतियों का देश है और हिंदी सभी भाषाओं के साथ आगे बढ़ रही है। राजभाषा विभाग के संयुक्त सचिव जय प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि हिंदी सरल तथा वैज्ञानिक भाषा है और मन के संकोच को हटाकर ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करने की आवश्यकता है, इससे देश के विकास को गति मिलेगी। कार्यक्रम में संसदीय समिति के सदस्य, केंद्र सरकार, मत्रालयों, विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और हिंदीप्रेमी उपस्थित थे।