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दूरदर्शन नए भारत का प्रतीक-जावड़ेकर

दूरदर्शन ने मनाया अपना 60वां स्‍थापना दिवस

दूरदर्शन पर डाक टिकट और कविता जारी की

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 September 2019 12:16:03 PM

doordarshan celebrated its 60th foundation day

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दूरदर्शन की स्‍थापना के 60 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में भाग लिया और दूरदर्शन की 60 वर्ष में निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया। उन्‍होंने दूरदर्शन के पुराने कार्यक्रमों की याद दिलाते हुए कहा कि किस तरह दूरदर्शन दशकों से लोगों का मनोरंजन करता आ रहा है। उन्‍होंने दूरदर्शन की नई प्रौद्योगिकी अपनाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि आज दूरदर्शन डिजिटल माध्‍यमों के जरिए लोगों की हथेलियों पर मोबाइल एप के रूपमें पहुंच गया है। उन्‍होंने इस अवसर पर डीडी फ्री डिश के तेजी से हो रहे विस्‍तार और इसपर ज्‍यादा से ज्‍यादा चैनलों द्वारा खुद को दिखाए जाने की होड़ का भी उल्‍लेख किया।
सूचना और प्रसारण मंत्री ने अमिताभ बच्‍चन की आवाज़ में रिकॉर्ड की गई आलोक श्रीवास्‍तव की कविता भी जारी की। यह कविता अमिताभ बच्‍चन ने खासतौर से दूरदर्शन को समर्पित की है, इसमें दूरदर्शन के भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और प्रोत्‍साहित करने, महिला सशक्तिकरण तथा हरित क्रांति को बढ़ावा देने का जिक्र किया गया है। इसके जरिए दूरदर्शन के 60 वर्ष की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए यह बताने की कोशिश की गई है कि किस तरह से दूरदर्शन नए भारत का प्रतीक बन चुका है। प्रकाश जावड़ेकर ने डीडी फ्री डिश और डीडी इंडिया पर कोरिया गणराज्‍य के सरकारी प्रसारक चैनल केबीएस वर्ल्‍ड का शुभारंभ किया। इस दौरान भारत में कोरिया के राजदूत शिन बोंगकिल भी उपस्थित थे। समारोह में जाना-माना खानपान कार्यक्रम ‘वाह क्‍या टेस्‍ट है’ को भी दिखाया गया। इसकी प्रस्‍तुति बिहारी बाबू के नाम से पहचाने जाने वाले एंकर चार्ल्‍स थॉमसन ने दी। प्रकाश जावड़ेकर ने दूरदर्शन पर एक पुस्तिका भी जारी की।
दूरदर्शन के साठ वर्ष
दूरदर्शन ने 15 सितंबर 2019 को अपनी स्‍थापना के 60 वर्ष पूरे कर लिए। इसी दिन 1959 को दूरदर्शन की शुरुआत प्रायोगिक तौरपर की गई थी। अपने साठ साल का लंबा सफर तय करते हुए दूरदर्शन दुनिया के सबसे बड़े लोक प्रसारकों में से एक बन चुका है और राष्‍ट्रनिर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है। देश की कई पीढ़ियां दूरदर्शन देखकर बड़ी हुई हैं। जहां तक समाचारों की विश्‍वसनीयता और लोक प्रसारक की भूमिका तथा मनोरंजन के माध्‍यम की बात है, दूरदर्शन का कोई मुकाबला नहीं है। रामायण, महाभारत, हम लोग, बुनियाद, मालगुड़ी डेज़ और उड़ान जैसे पुराने दौर के कार्यक्रमों से लेकर आज के समय में राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय घटनाओं की हाईटैक कवरेज तथा स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और सशक्तिकरण जैसे विषयों पर प्रभावित कार्यक्रम का सवाल है तो दूरदर्शन सभी आयुवर्ग के लोगों का पसंदीदा प्रसारण माध्‍यम बना हुआ है। दूरदर्शन देश के सामाजिक ताने-बाने को समृद्ध बनाने में भी बड़ा योगदान कर रहा है।

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