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Wednesday 18 September 2019 01:51:22 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पांचवें अंतर्राष्ट्रीय रामायण उत्सव में कहा है कि भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के सभी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए रामायण मंचन से अच्छा कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि रामायण महाकाव्य में बहुत शक्ति है और हजारों साल की अविरल धारा प्रवाह अभिव्यक्ति केवल रामायण के द्वारा हुई है। अमित शाह ने कहा कि रामायण केवल एक चरित्र की घटना नहीं है, बल्कि इस महाकाव्य में मानवीय जीवन के सारी ऊंचाइयों को भूले बगैर जीवन को रेखांकित करने का काम महर्षि वाल्मीकि ने किया है, साथ ही आने वाले समय में पतन के कारणों को भी इंगित किया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि रामायण महाकाव्य में राजा के कर्तव्यों के आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं, राजा के द्वारा धैर्य के साथ अपने पिता की बात मानने के लिए कितना बलिदान, कितना त्याग किया जा सकता है, यह भी दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि राजा राम ने पूरा जीवन मर्यादा में रहकर जिया, उनके जीवन को काव्यस्वरूप में देने का काम महर्षि वाल्मीकि ने किया है। अमित शाह ने कहा कि दुनिया की सभी भाषाओं में रामायण का भावा-अनुवाद हुआ है। उन्होंने कहा कि यह केवल संस्कृति की उद्घोषणा करने वाला, आदर्श जीवन को समझाने वाला काव्य नहीं है, बल्कि इसके अंदर कई ऐसे संवाद हैं, जो नीतिशास्त्र, प्रशासन, युद्ध शास्त्र और ज्ञान विज्ञान का भी परिचय देते हैं।
अमित शाह ने कहा कि रामायण से ज्ञात होता है कि जब स्त्री की मर्यादा का लोप होता है, तब राज्य का लोप होता है, संस्कृति का लोप होता है। उन्होंने गांधीजी का जिक्र करते हुए कहा कि जब काका साहेब कालेलकर के कहने पर कौटिल्य के नीतिशास्त्र की प्रस्तावना एक वाक्य में लिखना था तब गांधीजी ने लिखा था यह ग्रंथ नहीं है, अपितु महाग्रंथ है। उन्होंने कहा कि इसी तरह रामायण को पढ़ने के बाद व्यक्तिगत जीवन, सामाजिक जीवन और देश की सारी समस्याओं का समाधान रामायण में मिल सकता है। अमित शाह ने कहा कि रामायण भाषाओं की मर्यादा लांघकर भारतीय संस्कृति की राजदूत बनकर अनेक देशों में पहुंची है।