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तेजस में उड़ान भरने वाले राजनाथ पहले रक्षामंत्री

लड़ाकू विमान तेजस की गुणवत्ता खूबियों को देखकर प्रसन्‍न हुए

वायु थल एवं नौसेना की कुशलता साहस और पराक्रम को सराहा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 20 September 2019 01:30:27 PM

rajnath the first defense minister to fly in tejas

बेंगलूरु। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हल्‍के लड़ाकू विमान 'तेजस' में उड़ान भरने वाले देश के पहले रक्षामंत्री बन गए हैं। उन्‍होंने बेंगलूरु के हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड के हवाईहड्डे पर एयर वाइस मार्शल नर्मदेश्‍वर तिवारी के साथ स्‍वदेशी तकनीक से निर्मित बहुद्देश्‍यीय लड़ाकू विमान तेजस में आधे घंटे तक उड़ान भरी। रक्षामंत्री ने तेजस में अपनी इस उड़ान को बहुत ही रोमांचकारी अनुभव बताया। उन्‍होंने तेजस जैसा विमान बनाने के लिए हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तथा एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को बधाई दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में बने तेजस विमान की मांग कई देशों से आई है और यह गौरव की बात है कि आज भारत में बने लड़ाकू विमान, हथियार और गोला-बारुद दुनिया के देशों में निर्यात किए जा सकते हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना की उनकी व्‍यावसायिक कुशलता, साहस और पराक्रम के लिए सराहना करते हुए कहा कि उन्हें अपने सशस्‍त्र बलों के सैनिकों पर गर्व है। एयर वाइस मार्शल नर्मदेश्‍वर तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि उड़ान के दौरान रक्षामंत्री ने कुछ देर के लिए तेजस का नियंत्रण संभाला। उन्‍होंने कहा कि राजनाथ सिंह विमान की गुणवत्ता और आसान संचालन की खूबी को देखकर काफी प्रसन्‍न हुए। तेजस में उड़ान भरने से पहले वायुसेना के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने रक्षामंत्री को विमान की बनावट और चलाए जाने के तरीकों के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। रक्षा विभाग के अनुसंधान और विकास इकाई के सचिव तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्‍यक्ष डॉ जी सतीश तथा हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन के साथ दोनों विभागों के कई वरिष्‍ठ अधिकारी भी इस दौरान उपस्थित थे। गौरतलब है कि तेजस कई खूबियों से लैस एक बहुद्देश्‍यीय लड़ाकू विमान है, इसने देश की वायुसैनिक क्षमताओं को और मजबूत बनाया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अपनी एक दिवसीय बंगलूरू यात्रा के दौरान डीआरडीओ के एयरबॉर्न प्रणाली केंद्र भी गए। रक्षामंत्री को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के अनेक स्‍वदेशी उत्‍पाद दिखाए गए। इन उत्‍पादों में एईडब्‍ल्‍यूएंडसी, राडार प्रणाली, ईडब्‍ल्‍यू प्रणाली, यूएवी, निर्भय मिसाइल, रोबोटिक वाहन, स्‍वेदशी एयरक्राफ्ट इंजन, लघु टर्बोफैन इंजन, बायोमेडिकल प्रणाली, मिसाइलों के लिए माइक्रोवेव ट्रांसमिशन, सेमी कंडक्‍टर उपकरण आदि शामिल हैं। एयरबॉर्न प्रणाली केंद्र में डीआरडीओ अधिकारियों को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि उनके लिए देश में विकसित लड़ाकू विमान में उड़ान भरने का गौरवशाली और यादगार पल रहा। उन्‍होंने स्‍वदेशी रक्षा प्रणालियों के विकास में वैज्ञानिकों और तकनीशियनों के निरंतर प्रयास की सराहना की। राजनाथ सिंह ने कहा कि अस्‍त्र प्रक्षेपास्‍त्र, हल्‍के लड़ाकू विमान तेजस और बालाकोट में सफलतापूर्वक उपयोग किए गए नेत्र से डीआरडीओ में देश का विश्‍वास बढ़ा है। उन्‍होंने कहा कि देश को स्‍वदेशी प्रयासों के माध्‍यम से रक्षा सेनाओं की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करनी चाहिए।
रक्षामंत्री ने देश की निर्माण प्रणाली का हिस्‍सा बनने के लिए भारतीय उद्योगों की भी सराहना की। उन्‍होंने बताया कि 2030 तक स्‍वेदशी उत्‍पादन 75 प्रतिशत हो जाएगा। उन्‍होंने डीआरडीओ की विभिन्‍न सफलताओं और स्‍वदेशी उत्‍पादों की शानदार प्रदर्शनी के लिए वैज्ञानिकों और कर्मियों को बधाई दी। रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्‍यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने कहा कि रक्षामंत्री के तेजस में उड़ान भरना और डीआरडीओ की प्रदर्शनी देखना डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और कर्मियों के लिए प्रोत्‍साहन है। इस मौके पर एचएएल के अध्‍यक्ष, महानिदेशक ईसीएस, महानिदेशक एरोनॉटिक्‍स प्रणाली, महानिदेशक पीसीएंडएसआई, महानिदेशक मेडएंडसीओ, वित्तीय सलाहकार, डीआरडीओ के वैज्ञानिक, सशस्‍त्र बल के अधिकारी, एचएएल एवं और कई रक्षा एजेंसियों के अधिकारी मौजूद थे।

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