स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 6 October 2019 02:05:32 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय कंपनी सचिव संस्थान के 51वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि हाल के दिनों में हमने देखा है कि कैसे कुछ व्यावसायिक उद्यमों ने लोगों का भरोसा तोड़ा है, कंपनियां या तो लड़खड़ा गई हैं या उनमें ठहराव पर आ गई है, इस प्रक्रिया में आम लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कंपनी सचिव एक प्रशासन पेशेवर और एक आंतरिक व्यापार भागीदार की भूमिका निभाते हैं, उन्हें एक जिम्मेदार कारोबार को बढ़ावा देना चाहिए और बड़े सामाजिक एवं आर्थिक लक्ष्यों के साथ आर्थिक उद्देश्यों को संतुलित करना चाहिए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्हें यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी हितधारक मुनाफा और मुनाफाखोरी के बीच अंतर को समझ सकें और कानून का अनुपालन करें। उन्होंने कहा कि कंपनी सचिव को उन मुद्दों पर अवश्य विचार-विमर्श करना चाहिए, जहां सुधार की आवश्यकता है, ताकि अतीत की गलतियों या सीमाओं से निपटा जा सके। राष्ट्रपति ने कहा कि कंपनी प्रशासन की अवधारणा जटिल है, लेकिन जिन सिद्धांतों पर यह आधारित है वे बिलकुल स्पष्ट हैं, पारदर्शिता, जवाबदेही, ईमानदारी और निष्पक्षता इसके चार स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी सचिवों को जिम्मेदारीपूर्वक यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन सिद्धांतों को व्यवहार में कैसे लाया जाए।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश के एक प्रमुख केंद्र के रूपमें अपने ब्रांड मूल्य को बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है, इसके लिए एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कंपनी कानूनों को पारदर्शी तरीके से किस प्रकार लागू किया जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि एक कुशल, निष्पक्ष एवं उपयुक्त कंपनी प्रशासन व्यवस्था राष्ट्रनिर्माण का एक प्रमुख घटक है और इसे पूरा करने के लिए कंपनी सचिवों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि उनकी ईमानदारी और निष्पक्षता एक न्यायपूर्ण समाज के लिए हमारी प्रतिबद्धता को निर्धारित करती हैं।