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Sunday 6 October 2019 04:13:50 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भू-विज्ञान, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्रतिबंध के चलते पूरे आतिशबाजी उद्योग पर जल्द ही बंद होने का खतरा मंडरा रहा था, हालांकि एकबार फिर विज्ञान ने हमारे वैज्ञानिकों के हस्तक्षेप की बदौलत आम आदमी और लाखों नौकरियों को बचा लिया है। डॉ हर्षवर्धन ने एक कार्यक्रम में वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के प्रयासों के तहत ग्रीन पटाखे जारी किए और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की प्रयोगशाला के पर्यावरण अनुकूल विभिन्न प्रकार की आतिशबाजी विकसित करने में सफल रहने की घोषणा की, इनमें आवाज़ करने वाले पटाखे, फ्लावर पॉट, पेंसिल, चक्करघिरनी और फुलझड़ियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि ये आतिशबाजी सीएसआईआर की विकसित नए फॉर्म्यूलेशन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि नई तरह के पटाखे उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के लिए भारतीय बाज़ार में उपलब्ध हैं।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि हम इस दीपावली पर पर्यावरण अनुकूल पटाखों का उपयोग करेंगे, जिससे रोशनी एवं पटाखों के साथ हमारे त्योहार का पारंपरिक उत्सव बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा कि लाखों घर जो आतिशबाजी बनाने और उनकी बिक्री पर निर्भर रहते हैं, वे भी इस त्योहार का आनंद ले सकेंगे, इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों को शुक्रिया। डॉ हर्षवर्धन ने इस बात को भी उजागर किया कि नई आतिशबाजियों से होने वाले उत्सर्जन के परीक्षण की सुविधाएं सीएसआईआर-एनईईआरआई के साथ-साथ उनके अनुमोदित राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड में उपलब्ध हैं, जिसकी सूची सीएसआईआर-एनईईआरआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके साथ ही कच्चे माल के संरचनात्मक परीक्षण की सुविधा शिवकाशी में शुरु कर दी गई है, जिसका उद्देश्य निर्माताओं को कच्चे माल और रसायन के परीक्षण की सुविधा उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि ग्रीन पटाखों के लिए निर्धारित दिशानिर्देश के अनुसार आतिशबाजी निर्माताओं को नए और बदले गए फॉर्म्यूलेशन के लिए लगभग 530 उत्सर्जन परीक्षण प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं।
डॉ हर्षवर्धन ने ग्रीन पटाखों को विकसित करने में सीएसआईआर के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि इस काम में लगभग 165 आतिशबाजी बनाने वालों को साथ लाया गया है और लगभग 65 से अधिक निर्माता साथ आने की प्रक्रिया में हैं। कम उत्सर्जन वाले ग्रीन पटाखे विकसित करने के लिए आठ प्रयोगशालाएं सीएसआईआर-एनईईआरआई, सीईईआरआई, आईआईटीआर, आईआईसीटी, एनसीएल, सीईसीआरआई, एनबीआईआई और सीएचएमआईआई साथ आईं। इस पूरी कवायद का समन्वय सीएसआईआर-एनईईआरआई ने किया। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि सीएसआईआर-एनईईआरआई ने पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ मिलकर ग्रीन पटाखों की स्पष्ट परिभाषा विकसित की है, यह पारंपरिक पटाखों को ग्रीन पटाखों में बदलने के तरीकों एवं साधनों के लिए नियामक और लोगों को शिक्षित करने के लिए है। यह ग्रीन पटाखों को स्पष्ट करने के अलावा ग्रीन पटाखों की बेंचमार्किंग के लिए आधार मूल्य और पारंपरिक पटाखे एवं हरे पटाखे में बेरियम के स्तर का आकलन करने के लिए है। यह कानूनी और नीतिगत हस्तक्षेप के लिए रखा गया है। नकली पटाखों के निर्माण और बिक्री से बचने के लिए पटाखों पर क्यूआर कोड की एक अच्छी सुविधा दी गई है। यह उपभोक्ताओं को स्मार्ट फोन और अन्य उपकरणों का उपयोग करके पटाखों को ट्रैक करने में भी मदद देगा।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ग्रीन पटाखे की कीमत लगभग पहले के नियमित पटाखे के समान होगी। उन्होंने एक लाइसेंस प्राप्त निर्माता के तैयार ग्रीन पटाखा भी जारी किए। उन्होंने कहा कि ग्रीन पटाखे को पारंपरिक पटाखे से अलग करने के लिए एक हरे रंग के लोगो के साथ-साथ एक त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोडिंग प्रणाली विकसित की गई है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि उत्सर्जन प्रमाणपत्र, क्यूआर कोड और फॉर्म्यूलेशन से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लए एक हेल्पलाइन बनाई गई है, यह हेल्पलाइन +918617770964 और +919049598046 या ई-मेल director@neeri.res.in पर उपलब्ध है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि डॉ हर्षवर्धन ने साल 2018 में भारतीय वैज्ञानिक समुदाय से पर्यावरण के अनुकूल आतिशबाजी पर आरएंडडी शुरू करने का आग्रह किया था। यह न केवल मौजूदा आतिशबाजी के उपयोग से पैदा हुई पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिए किया गया, बल्कि देशभर में आतिशबाजी के निर्माण और बिक्री में लगे लाखों लोगों की आजीविका की भी रक्षा करने के लिए था। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांडे, एनईईआरआई के निदेशक डॉ राकेश कुमार और डॉ साधना रायालु भी इस अवसर पर मौजूद थीं।