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Tuesday 8 October 2019 02:04:23 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2018 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षुओं के साथ संवाद करते हुए कहा है कि ईश्वर ने उनको देशसेवा का बहुत बड़ा मौका दिया है, इसलिए उन्हें जिम्मेदारी से अपना कार्य करना होगा। गृहमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि उनका यह प्रयास होना चाहिए कि वे संवेदनशील होकर ड्यूटी करें, जिसमें कई तरह की चुनौतियां आएंगी पर सफलता के लिए अडिग रहना जरूरी है। अमित शाह ने कहा कि उनकी यह सेवा स्वयं के या परिवार के लिए न होकर देश के लिए होनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था देश की रीढ़ की हड्डी है, जिसके बिना विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने में कानून व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है। अमित शाह ने कहा कि छवि निर्माण एक-दो दिन में नहीं होती, बल्कि एक लंबा अंतराल चाहिए और पुलिस की नकारात्मक छवि बनाने में साहित्य, अख़बार और फिल्मों का योगदान ज़्यादा है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एक समान सोच, दिशा, गति और मुक्त चिंतन से छवि सुधारने का काम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने कार्य से अपनी विश्वसनीयता बनानी होगी तथा लगातार सकारात्मक सोच ही उनकी छवि को अच्छा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अमित शाह ने कहा कि पुलिस रिफोर्म जरूरी है, कानून व्यवस्था राज्य का विषय होता है और केंद्र सरकार सलाहकार की भूमिका में होती है, नीचे से नीचे का कर्मचारी भी पुलिस महकमे का महत्वपूर्ण हिस्सा है और कांस्टेबल के भी अनुभव का लाभ लिया जाना चाहिए। गृहमंत्री का कहना था कि किसी भी व्यवस्था को प्रभावी तथा तकनीकी रूपसे सक्षम बनाने की लगातार आवश्यकता होती है, किंतु पुलिस व्यवस्था में पुरानी परंपराओं को छोड़कर सफलतापूर्वक कार्य नहीं किया जा सकता है, इसलिए विस्तार से पुरानी परंपराएं जानकर उन्हें भी पुनर्जीवित करें। अमित शाह ने कहा कि आईपीसी और सीआरपीसी की रचना अंग्रेजों ने की थी, उनका उद्देश्य अलग था, परंतु अब कल्याणकारी राज के लिए कानून की प्राथमिकता नए सिरे से तय करने की आवश्यकता है, इसलिए आईपीसी और सीआरपीसी में धारणात्मक बदलाव की जरूरत है।
अमित शाह ने कहा कि कानून व्यवस्था जनता के कल्याण के लिए होनी चाहिए, न कि उनमें भय पैदा करने के लिए। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा और बेहतर कानून व्यवस्था सर्वोपरि है। अमित शाह ने असम राज्य में एनआरसी में आने वाली चुनौतियों पर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कहा कि जो कार्य आवश्यक है, उसे करना चाहिए, चाहे कानून व्यवस्था के लिए कितनी भी चुनौतियां सामने आएं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का उदाहरण देते हुए कहा कि विरोधियों ने तमाम तरह की अड़चनें रखीं, आज़ादी के बाद कितने ही लोगों की जानें गईं, किंतु धारा 370 हटाने के बाद एक भी जान नहीं गई। उन्होंने कहा कि विश्व के अन्य अधिक आबादी वाले देशों का अध्ययन किया जाए, सब जगह सिटीजन रजिस्टर लागू है, एनआरसी के बाद देश हित में नीतियां बनाने में आसानी होगी। इस संदर्भ में उन्होंने उज्ज्वला योजना की चर्चा करते हुए कहा कि पूर्व की गणना के हिसाब से ही घर-घर में गैस पहुंचाने का काम किया जा रहा है और 2022 तक हर घर में गैस पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ विरोधियों द्वारा एनआरसी को राजनीतिक कदम कहा जा रहा है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कुशल प्रबंधन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि कुशल प्रबंधन के दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं, पहला कि हर व्यक्ति को उसके दायित्व का निर्वहन करने के लिए स्वतंत्र किया जाना चाहिए तथा दूसरा न तो दूसरों के कार्य में दखल दिया जाए और न ही किसी का दखल स्वीकार किया जाए। उन्होंने कहा कि फैसला लेने की जिम्मेदारी जिसकी है, उसे ही कार्य करना दिया जाए तथा प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र छोड़ना चाहिए, उसे प्रेरित करने के साथ-साथ उसकी क्षमता निर्माण में सहायता करना भी आवश्यक है। अमित शाह ने कहा कि उत्तर-पूर्व भारत का रिश्ता महाभारत काल का है और यहां के लोगों का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद उत्तर-पूर्व में बहुत बदलाव आया है। अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को हमेशा के लिए केंद्रशासित प्रदेश नहीं बनाया गया है, जैसे ही वहां कानून-व्यवस्था सामान्य होगी पूर्ण राज्य का गठन कर दिया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों का कहना था कि धारा 370 के कारण वहां संस्कृति बची हुई थी, किंतु मेरा यह कहना है कि संविधान ने अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों को बचाकर देश का निर्माण करने का कार्य किया है, इसलिए धारा 370 की संस्कृति बनाने या बचाने में कोई भूमिका नहीं है।
अमित शाह ने कहा कि धारा 370 का सबसे ज़्यादा उपयोग पाकिस्तान ने सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया है, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट बनाया, बच्चों को हथियार पकड़ा दिए गए और हालात यह हो गए कि मारने वाले भी हमारे और मरने वाले भी हमारे। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि और फोरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय की स्थापना हो, ताकि इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को 12वीं के बाद ही उचित मार्गदर्शन दिया जा सके और वह अपने भविष्य का निर्माण कर सकें। इस मौके पर महिला आईपीएस अधिकारियों से अमित शाह ने कहा कि आरक्षण स्थाई सफलता नहीं है, उनकी सफलता ही दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है, इसलिए धीरे-धीरे मन बदलना होगा और स्वत: ही महिलाओं को सेना, पुलिस तथा आंतरिक सुरक्षा के विभागों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना होगा। अमित शाह ने कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए समाज से पुलिस का भय निकालना होगा तथा उनमें यह विश्वास जगाना होगा कि पुलिस उनकी सलामती के लिए है। उन्होंने कहा कि अनुशासन के नाम पर जवाबदेही से पलायनवाद नहीं होना चाहिए और न ही समझौता करना चाहिए।
अमित शाह ने कहा कि संविधान में 3 लोगों को दायित्व दिया गया है, पहली जनता है, जो वोट देकर अपने दायित्व का निर्वहन करती है, दूसरा जनता का प्रतिनिधि होता है, जो 5 वर्ष के लिए निर्वाचित होकर संविधान द्वारा सौंपे गए कार्य करने का दायित्व निभाता है, किंतु नौकरशाही को यह दायित्व 35 साल तक निभाना होता है, जनता सबसे ज्यादा उनपर भरोसा करती है और उनको इस बात का गर्व होना चाहिए। अमित शाह ने अधिकारियों को सफलता का मूल मंत्र देते हुए कहा कि मन और आत्मा से बड़ा शिक्षक कोई नहीं होता। उन्होंने महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि मन से संवाद करें और आत्मविश्लेषण करते रहें, इस तरह कार्य करके सरदार वल्लभभाई पटेल की अखिल भारत की कल्पना को पूर्ण किया जा सकता है।