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Thursday 10 October 2019 02:10:20 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर से 1947 में विस्थापित उन 5300 परिवारों को शामिल करने की मंजूरी दे दी है, जिन्होंने शुरू में जम्मू-कश्मीर राज्य से बाहर जाने का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में वे जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री के विकास पैकेज 2015 के अंतर्गत पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर और छम्ब के विस्थापित परिवारों के लिए मंत्रिमंडल के 30 नवंबर 2016 को मंजूर पुनर्वास पैकेज के तहत वापस लौटकर जम्मू-कश्मीर राज्य में बस गए थे। भारत सरकार की इस मंजूरी से ऐसे विस्थापित परिवार वर्तमान योजना के अंतर्गत 5.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के हकदार होंगे और बदले में उन्हें लगातार कुछ आमदनी हो सकेगी, जिसका वर्तमान योजना में लक्ष्य रखा गया है।
यहां यह बता देना जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर में 1947 के पाकिस्तानी आक्रमण के मद्देनज़र 31,619 परिवार जम्मू-कश्मीर के पाक अधिकृत क्षेत्रों से पलायन करके जम्मू-कश्मीर राज्य में चले गए थे। इनमें से 26,319 परिवार जम्मू-कश्मीर राज्य में बस गए और 5300 परिवारों ने आरंभ में जम्मू-कश्मीर राज्य से बाहर निकलकर देश के अन्य भागों में जाने का विकल्प चुना था। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान छम्ब नियाबत क्षेत्र से 10,065 और परिवार विस्थापित हो गए थे, इनमें से 1965 युद्ध के दौरान 3500 परिवार और 1971 के युद्ध के दौरान 6565 परिवार विस्थापित हुए थे। भारत सरकार के 30 नवंबर 2016 को मंजूर विकास पैकेज के अंतर्गत 36,384 विस्थापित परिवारों को शामिल किया गया था, इनमें पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर से 26,319 विस्थापित परिवार और छम्ब नियाबत इलाके से विस्थापित 10,065 परिवार जम्मू-कश्मीर में बस गए थे।
पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर के 5300 विस्थापित परिवार जिन्होंने आरंभ में जम्मू-कश्मीर राज्य से देश के अन्य भागों में जाने का विकल्प चुना था, उन्हें मंजूर विकास पैकेज में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन अब इन 5300 परिवारों में से वे विस्थापित परिवार, जिन्होंने आरंभ में राज्य से बाहर जाने का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में वे जम्मू-कश्मीर लौट आए और वहां पर बस गए, उन्हें पैकेज में शामिल किया जा रहा है। वर्ष 1947 में पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर के 5300 विस्थापित परिवार में से उन विस्थापित परिवारों को शामिल करना, जो वर्तमान योजना में जम्मू-कश्मीर राज्य में लौटकर बस गए, जिन्होंने युद्ध के कारण परेशानी झेली, वह पर्याप्त मासिक आमदनी अर्जित कर सकेंगे और आर्थिक क्रियाकलापों का हिस्सा बन सकेंगे। इससे विस्थापित परिवारों की वित्तीय सहायता की जरूरत से प्रभावी तरीके से निपटने की सरकार की क्षमता बढ़ेगी। धनराशि की जरूरत को वर्तमान योजना के लिए पहले से ही मंजूर धनराशि से पूरा किया जाएगा।