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Wednesday 16 October 2019 12:36:27 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ भवन नई दिल्ली में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के निदेशकों के 41वें सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर कहा कि डीआरडीओ ने देश के रक्षा बलों को मजबूत बनाया है। उन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी, सभी वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को बधाई दी। उन्होंने 100 दिन के लक्ष्य को हासिल करने तथा स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए विषयों को चिन्हित करने और पांच वर्ष के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की।
रक्षामंत्री ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों से कहा कि वे पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की कार्यशैली को अपनाएं। उन्होंने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास तथा मैन्युफैक्चरिंग में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के साथ ऐसी प्रणालियां विकसित करने का लक्ष्य रखना चाहिए, जो अगले 10-15 वर्ष तक समकालीन बनी रहें, ताकि सशस्त्र बल टैक्नोलॉजी की दृष्टि से श्रेष्ठता बरकरार रखें। राजनाथ सिंह ने कहा कि टेक्नोलॉजी की अपनी सीमाएं है और उत्पादों के विकास की भी एक निश्चित अवधि होती है। उन्होंने कहा कि ऐसी जटिल प्रणालियों के लिए तकनीकी आवश्यकताएं विकास चक्र के दौरान विकसित होती रहती हैं, इन प्रणालियों के लिए चक्रीय विकास वरीयता का विकल्प हो सकता है।
उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह तथा वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया उपस्थित थे। अजीत डोभाल ने सभी चुनौतियों के बावजूद डीआरडीओ के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी की दृष्टि से भारत को मजबूत बनाने में डीआरडीओ की भूमिका प्राथमिक है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध में टैक्नोलॉजी और वित्तीयशक्ति युद्ध के परिणाम निर्धारित करेंगे और इसमें टेक्नोलॉजी अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता आधारित टेक्नोलॉजी हमें अपने शत्रुओं की तुलना में श्रेष्ठता बनाए रखने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी स्वदेश में ही विकसित की जानीचाहिए और डीआरडीओ एक मात्र संगठन है, जो प्रणाली एकीकरण का काम कर सकता है।
सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि डीआरडीओ ने तोप प्रणाली, सुरंग, टैंक रोधी प्रक्षेपास्त्र जैसी विभिन्न प्रणाली विकसित करके सेना की आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि भविष्य में युद्ध स्वदेशी प्रणालियों से जीते जा सकेंगे। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल कर्मबीर सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना वरूणास्त्र, मारीच, उशूस, ताल तथा डीआरडीओ में विकसित अन्य दूसरी प्रणालियों का दक्षतापूर्वक उपयोग कर रही है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि टेक्नोलॉजी नेतृत्व डीआरडीओ को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशक में डीआरडीओ आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहा है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध टेक्नोलॉजी और अन्य टेक्नोलॉजी में डीआरडीओ की भूमिका की सराहना की। उन्होंने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की क्षमताओं की सराहना की और डीआरडीओ से कहा कि वह टेक्नोलॉजी का उपयोग करके और हलके लड़ाकू विमान के अनुभव से अगली पीढ़ी के विमान विकसित करे।
रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने एसैट, ब्रह्मोस, अस्त्र, नाग मिसाइल, एसएएडब्ल्यू, अर्जुन एमबीटी, एमके-1ए, 46 मीटर मॉड्यूलर सेतू, एमपीआर, एलएलपीआर, अश्विनी के सफल विकास की चर्चा की। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ निदेशकों के 41वें सम्मेलन का विषय-भारत को सशक्त बनाने के लिए टेक्नोलॉजी नेतृत्व है, अग्रणी टेक्नोलॉजी के साथ स्वदेशी प्रणालियों के विकास की आवश्यकताओं के अनुरूप है। रक्षामंत्री ने डीआरडीओ-उद्योग साझेदारी : सहक्रिया और विकास तथा निर्यात क्षमता के साथ डीआरडीओ उत्पादों पर दो संक्षिप्त विवरणिकाएं जारी कीं। रक्षामंत्री ने डीआरडीओ की नई वेबसाइट भी लॉन्च की। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ चित्रा राजागोपाल डीजी (एसएएम) ने कहा कि सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण, खतरे की संभावना, संचालन चुनौतियों तथा टेक्नोलॉजी परिवर्तन पर आधारित निरंतर प्रक्रिया है।