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Wednesday 16 October 2019 05:03:30 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एटीएस और एसटीएफ प्रमुखों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा है कि पाकिस्तान प्रयोजित सीमापार आतंकवाद और जिहादी आतंकवाद देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद सभ्य समाज के लिए अभिशाप है और आधुनिक विकास में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं की विस्तृत जांच के संदर्भ में एनआईए की भूमिका महत्वपूर्ण है, राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि अपने गठन से लेकर अबतक एनआईए ने 286 गंभीर आतंकवादी मामले दर्ज किए हैं, इनमें से 210 मामलों की जांच और अनुसंधान संबंधी रिपोर्टों को एनआईए की विशेष अदालतों में जमा किया जा चुका है। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि एनआईए ने अल्पावधि में ही आतंकवाद के खिलाफ उल्लेखनीय कार्य किए हैं, पठानकोट, उरी, बनिहाल और हंदवाड़ा आतंकवादी हमलों में तथा जाली भारतीय रुपयों के संदर्भ में पाकिस्तान के नाम को उजागर करने के लिए एनआईए को बधाई दी। जी किशन रेड्डी ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति, विविधता और क्षेत्रीयता के कारण सुरक्षा की चुनौतियां महत्वपूर्ण हैं, अलगाववाद, उग्रवाद, साम्प्रदायिकता, कट्टरता और माओवादी हिंसा भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का शांतिपूर्वक निदान संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत किया जाना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए गृह राज्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग होने के बावजूद अलगाववादी गतिविधियों के कारण एक अलग संप्रभु राज्य के रूपमें कार्य कर रहा था। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर में सीमापार आतंकवाद को कम करने में सफलता प्राप्त की है, अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का चहुंमुखी विकास होगा। जी किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार के सामने शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने की चुनौती है, ताकि विकास का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि देश के बाहरी और आंतरिक विरोधी भारत के उल्लेखनीय विकास को देखते हुए विकास की यात्रा में उथल-पुथल मचाना चाहते हैं। उन्होंने अधिकारियों से इस तथ्य को ध्यान में रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन इंटरनेट का अत्यधिक प्रयोग कर रहे है, यह एक ऊभरती हुई वैश्विक चुनौती है, इस खतरे को नियंत्रित करने में एनआईए ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि साइबर स्पेस के लिए देश की सीमाएं कोई मायने नहीं रखती, इसलिए इसका क्षेत्राधिकार निर्धारण एक कठिन कार्य है, इस चुनौती का सामना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सभी हितधारकों के बीच समन्वय एकमात्र रास्ता है।
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि भारत दशकों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा है और नरेंद्र मोदी सरकार आतंकवाद को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पंजाब, पूर्वोत्तर भारत, कश्मीर और देश के अन्य भागों में शांति बहाल करने के लिए सुरक्षाबलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के कारण यह भारत का कर्तव्य है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समर्थन प्रदान करे। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए आवश्यक अवसंरचनाओं का विकास किया जाना चाहिए, वैधानिक कार्यरूप तैयार किया जाना चाहिए और आतंकवाद निरोधी कानूनों तथा एनआईए अधिनियम में आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिएं। जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस सेमिनार से विभिन्न राज्यों के एटीएस और एसटीएफ के बीच बेहतर समन्वय होगा और वे आतंकवाद के विभिन्न रूपों का मुकाबला करने के लिए अधिक मजबूत होंगे। सम्मेलन में स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष व थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और एनआईए के डीजी योगेश चंदर मोदी भी उपस्थित थे।