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Thursday 17 October 2019 01:35:24 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने चुनावों की पूर्व-संध्या पर मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन उपायों के विरूद्ध राजनीतिक दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि इससे विकास पर होनेवाले खर्च पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उपराष्ट्रपति भवन में बैंगलुरू के कानून के छात्रों से बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करना जनता के हाथ में है। उन्होंने कहा कि मतदान करना केवल एक अधिकार ही नहीं है, बल्कि उनका उत्तरदायित्व भी है। उन्होंने लोगों से मांग करते हुए कहा कि वे अपने प्रतिनिधियों को चुनते समय उनके चरित्र, व्यवहार, बुद्धि और क्षमता को ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोग जाति, समुदाय, धन और अपराध को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों का चयन करते समय लोगों को सोच-विचार कर निर्णय लेना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एकसाथ चुनाव कराने पर जोर देते हुए कहा कि इससे एक समय में ही पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की मजबूती के लिए राज्यों में किसी कारण से स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने की संभावना नहीं होनी चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि न्याय तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने में अधिवक्ता महत्वपूर्ण हितधारक हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे स्थिर और समृद्ध समाज की नींव तैयार होती है। विभिन्न न्यायालयों में अत्यधिक संख्या में लंबित मुकद्में के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में लगभग 60,000 मुकद्में लंबित हैं और उच्च न्यायालयों में लगभग 44 लाख मुकद्में हैं। उन्होंने कहा कि अकसर ऐसा कहा जाता है कि न्याय में देरी होना, न्याय से वंचित होना है।