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Thursday 17 October 2019 04:53:01 PM
वाराणसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में गुप्तवंशक वीर स्कंद गुप्त विक्रमादित्य पर दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए। गृहमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने हिंदू संस्कृति को अक्षुण्ण रखने, उसे पूरी दुनिया में आगे बढ़ाने का काम किया है और शिक्षा पद्धति को पुनर्जीवन देने तथा उसकी पुन: प्राण प्रतिष्ठा करने का भी कार्य किया है। अमित शाह ने कहा कि व्यक्तित्व आता है चला जाता है, किंतु विश्वविद्यालय के माध्यम से छात्रों के चरित्र निर्माण का काम चलता रहता है। उन्होंने कहा कि भारत अध्ययन केंद्र सम्राट स्कंद गुप्त के व्यक्तित्व पर विचार-विमर्श करने तथा उनके साहित्य को इकट्ठा करने का कार्य कर रहा है, जो अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सम्राट स्कंद गुप्त ने भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य और शासन व्यवस्था को हमेशा के लिए बचाने का काम किया।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि महाभारतकाल के 2000 साल बाद का कालखंड मौर्य वंश और गुप्त वंश, दो बड़ी शासन व्यवस्थाओं के नाम से जाना जाता है तथा दोनों वंशों ने उस समय के विश्व में भारतीय संस्कृति को उच्च स्थान पर रखा था। उन्होंने कहा कि आचार्य चाणक्य के सपने को साकार करने में गुप्त वंश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। गृहमंत्री ने कहा कि हूणों के हमले के दौरान जब क्रूरता की हद थी, संस्कृति और संस्कार के विनाश का काम किया जा रहा था, तब स्कंद गुप्त ने हूणों का सामना किया और समस्त हूणों को देश से बाहर कर दिया, जिसके कारण हूणों को पहली बार पराजय का स्वाद चखना पड़ा। उन्होंने कहा कि स्कंद गुप्त ने सुखी और समृद्ध भारत की कल्पना की थी, जिसके कारण वह महान हुए और उन्हें वैश्विकस्तर पर भी सम्मान प्राप्त हुआ है। गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ा है और अब दुनिया भारत के विचारों को खासतौरपर महत्व देती है। उन्होंने कहा कि महामना मदनमोहन मालवीय ने कहा था कि समस्त समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति में है, जो सर्वथा सच है।
अमित शाह ने कहा कि इतिहास ने स्कंद गुप्त के साथ अन्याय किया, यह दुर्भाग्य है कि उनके पराक्रम की जितनी प्रशंसा होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इतिहास का लक्षण है कि जो शासन व्यवस्था को परिवर्तित करता है, उसी का संज्ञान लिया जाता है, इतिहास को दोबारा लिखने के लिए इतिहासकार और साहित्यकार जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास लिखना महत्वपूर्ण है और किसी को दोष देने का प्रयास किए बगैर भारतीय दृष्टि से इतिहास लिखने का काम होना चाहिए। उन्होंने शिवाजी महाराज जैसे कई महापुरुषों के संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण साम्राज्यों के साहित्य का संग्रह होना चाहिए, ताकि आनेवाली पीढ़ियों को सही जानकारी प्राप्त हो सके। अमित शाह ने कहा कि उन्नीस सौ सत्तावन की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम वीर सावरकर ने दिया था। उन्होंने कहा कि विभिन्न कालखंडों के इतिहास का लेखन करने के लिए मेहनत की दिशा केंद्रित करनी होगी और नया इतिहास लिखा जाएगा, जो लंबा, चिरंजीव तथा लोकभोग्य होगा।