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Tuesday 19 November 2019 05:12:32 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में शिबपुर के आईआईटी, एनआईटी और आईआईएसटी के निदेशकों के सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा है कि इस वर्ष हमसब एक ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं, जो पहले कभी नहीं रही, राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है, पिछली कुछ सदियों में हाइड्रोकार्बन ऊर्जा ने पूरी दुनिया का परिदृश्य बदलकर रख दिया है और अब यह हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह उन देशों के लिए एक तरह की दोहरी चुनौती है, जो अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस चुनौती से निपटने के विकल्प तलाशने होंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कई वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं ने दुनिया का अंत होने की बात कही है, हमारे शहरों में आज-कल धुंध और कम दृश्यता जैसी स्थितियों को देखकर यह डर सताने लगा है कि भविष्य के लिए कही यह बात कहीं अभी ही सच नहीं हो जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि आईआईटी और एनआईटी अपनी विभिन्न विशेषज्ञताओं के माध्यम से साझा भविष्य के लिए छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को ज्यादा संवेदनशील और जागरुक बनाने का काम करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि कारोबारी सुगमता सूचकांक में भारत की स्थिति बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से केंद्रित प्रयास किए गए हैं, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए जीवन सहज बनाना है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रौद्योगिकी के संदर्भ मे यह विश्वास व्यक्त किया कि आईआईटी और एनआईटी जैसी संस्थाएं नागरिकों के जीवन को सहज बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार, जल आपूर्ति प्रणालियों को कुशल बनाना और स्वास्थ्य सेवा वितरण को अधिक प्रभावी बनाना आदि ऐसे अनगिनत तरीके हैं, जिनसे प्रौद्योगिकी एक औसत भारतीय के जीवन में सुधारात्मक अंतर ला सकती है। सम्मेलन में आईआईटी के 23 तथा एनआईआईटी और आईईएसटी के 31 निदेशक, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, राज्यमंत्री, मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव और एआईसीटीई के अध्यक्ष ने भी भाग लिया। यह सम्मेलन 152 केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ राष्ट्रपति के नियमित संवाद का हिस्सा है।