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Friday 22 November 2019 02:25:16 PM
पणजी। गोवा में पचासवें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में भारतीय पैनोरमा की फीचर फिल्मों के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष प्रियदर्शन नायर ने निर्णायक मंडल की सदस्य श्रीलेखा मुखर्जी, हरीश भिमानी और विनोद गनात्रा तथा गैर फीचर फिल्म भाग के निर्णायक मंडल की सदस्य आरती श्रीवास्तव एवं रोनेल हाओबैम के साथ संवाददाता सम्मेलन में भाग लिया। प्रियदर्शन नायर ने इस अवसर पर कहा कि निर्णायक मंडल ने भारत के यथार्थवादी फिल्मकारों की गुणवत्ता में काफी अधिक गिरावट पाई है। उन्होंने कहा कि यह कठिन कार्य था, लेकिन उतना नहीं, जितना हमने सोचा था, 30 दिन में 314 फिल्में देखना बड़ा काम है, लेकिन हमने विभिन्न राज्यों की विभिन्न किस्म की फिल्मों को देखते हुए आनंद उठाया।
प्रियदर्शन नायर ने कहा कि फिल्मकारों ने बड़ा काम किया है, लेकिन यह देखा गया है कि जब विषयवस्तु अच्छी हो तो गुणवत्ता खराब हो सकती है या विपरीत भी हो सकता है, हमें खुशी है कि इस बार फिल्मों के चयन में अधिक विवादों में नहीं जाना पड़ा। नए फिल्मकारों को सलाह देते हुए प्रियदर्शन नायर ने कहा कि अच्छी फिल्म बनाने के तीन सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू हैं-पटकथा, सिनेमोटोग्राफी और प्रोडक्शन डिजाइन। उन्होंने कहा कि हमारे समय में कैमरा के पीछे रहना कठिन था, आजकल प्रत्येक व्यक्ति अपनी जेब में कैमरा लेकर चलता है, प्रत्येक व्यक्ति के मस्तिष्क में एक फिल्म है, लोग वही बना रहे हैं जो उनके मस्तिष्क में है, लेकिन ऐसे लोगों में प्रशिक्षण का अभाव है, फील्ड वर्क नहीं दिख रहा है। प्रियदर्शन नायर ने कहा कि युवा फिल्मकारों को प्रशिक्षण और फील्ड वर्क से बेहतर फिल्में बनाने में मदद मिलेगी।
फीचर फिल्मों के निर्णायक मंडल ने फिल्म समारोह को नए फिल्मकारों के लिए अपने विचारों को दिखाने का एक अवसर बताया। विनोद गनात्रा ने कहा कि टेक्नोलॉजी सभी क्षेत्रों के फिल्मकारों की मदद कर रही है, यहां तक कि भारत के दूर-दराज के हिस्से से भी बड़ी दर्शक आबादी तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी को राष्ट्रीय मंच मिलना बड़ी बात है। हरीश भिमानी ने कहा कि हमने कुछ असाधारण फिल्में देखी हैं। आरती श्रीवास्तव ने कहा कि लघु फिल्मों तथा वृत्तचित्र निर्माताओं को समर्थन के लिए अधिक कोष की आवश्यकता है। गौरतलब है कि आईएफएफआई 2019 में पूरे विश्व की फिल्में दिखाई जा रही हैं। भारतीय पैनोरमा आईएफएफआई का अग्रणी भाग है, जिसमें समकालीन 26 भारतीय फिल्में तथा 15 गैर-फीचर फिल्में दिखाई जा रही हैं।