स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 25 November 2019 02:32:48 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश सभी क्षेत्रों में तेज बदलाव से गुजर रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के आह्वान ने देश को तेजगति से काम पूरा करने की नई सोच और दिशा दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में राज्यपालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बदलाव की यह गति बनाई रखी जाए तथा सामूहिक और सहयोगी प्रयासों से इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए जाएं। वेंकैया नायडू ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 50वें सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल अपने गहन अनुभवों के आधार पर देश की विकास प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पास अपने एक भारत को श्रेष्ठ भारत बनाने का इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता। उन्होंने राज्यपालों से भारतीयता की इस भावना को प्रोत्साहित करने में मदद की अपील की। उन्होंने राज्यपालों का ध्यान देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और भाषाओं तथा प्रत्येक राज्य की साहित्यिक विरासत की ओर आकृष्ट करते हुए इनके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को स्थानीय संस्कृति, त्योहारों और विभिन्न व्यंजनों के संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए, स्वस्थ खान-पान, स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करना चाहिए, स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों के जीविका का साधन बनने वाली स्थानीय कलाओं और कार्यक्रमों के संरक्षण को भी बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने राज्यपालों से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि स्थानीय भाषाओं को प्रशासनिक कार्यों तथा जनसंपर्क वाले सार्वजनिक क्षेत्रों में उचित स्थान मिले। उपराष्ट्रपति ने भाषाओं को क्षेत्र विशेष की संस्कृति का कोष बताते हुए उपराज्यपालों से अनुरोध किया कि वे मातृभाषाओं के संरक्षण तथा उन्हें प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का माध्यम बनाए जाने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करें।
राज्यपालों का ध्यान औपनिवेशिक प्रथाओं की ओर आकृष्ट करते हुए वेंकैया नायडू ने उनकी समीक्षा करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने इसके लिए गणमान्य लोगों को महामहिम कह कर संबोधित करने तथा विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह के मौके पर पहनी जानेवाली विशेष पोषाक का उदाहरण देते हुए कहा कि इन प्रथाओं को बदलकर इन्हें भारतीयता का पुट दिया जा सकता है। उपराष्ट्रपति ने जल के अंधाधुंध दोहन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जल संरक्षण की तत्काल जरुरत पर बल दिया। किसानों की आय दोगुनी करने तथा कृषि को टिकाऊ और आर्थिक रूपसे ज्यादा फायदेमंद बनाने के सरकारी पहलों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए कृषि क्षेत्र में कई ढांचागत सुधार लागू किए गए हैं। कृषि को देश की संस्कृति का आधार बताते हुए वेंकैया नायडू ने कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों का फायदा सीधे किसानों तक जानकारी पहुंचाने तथा उन्हें विविध फसलें उगाने और आय बढ़ाने के लिए बागवानी, डेयरी, पोल्ट्री तथा मछली पालन जैसी कृषि से जुड़ी गतिविधियां अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्चशिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहित करने और उत्कृष्टता के लिए निरंतर खोज पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और शिक्षण सुविधाओं को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मानकों के अनुरूप बनाना होगा। राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। राज्यों के राज्यपाल और उपराज्यपालों तथा संघ शासित प्रदेशों के प्रशासकों के अलावा सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, आईटी और संचार, कानून तथा न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, जल शक्तिमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा भी उपस्थित थे।