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Tuesday 02 April 2013 06:00:46 AM
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने गन्ना किसानों की बकाया राशि का शीघ्र भुगतान नहीं किए जाने पर आंदोलन की धमकी दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ लक्ष्मी कांत बाजपेयी ने कहा कि सपा राज में लगातार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। डॉ बाजपेयी ने कहा कि पश्चिम की 1 (सहारनपुर) मध्य उत्तर प्रदेश की 6 (अमरोहा, आनंद गोपी, मिलक नारायनपुर, निओली, बदांयू, बिलासपुर) पूर्वी उत्तर प्रदेश की 10 (बस्ती, हाटा, गदौरा, उतरौला, प्रतापपुर, रूदौली, सिसवां बाजार, तुलसीपुर, वाल्टरगंज, रसड़ा) गन्ना मिलों ने किसानों का गन्ना खरीद कर उससे फायदा उठाया और बाद में मिलों को बंद कर दिया।
उन्होंने बताया कि सहारनपुर में 628 लाख, आनंद गोपी में 640.11 लाख, मिलक नारायनपुर में 4970 लाख, नियोली में 2957.47 लाख, बदांयू में 1809.75 लाख, बिलासपुर में 11910.32 लाख, बस्ती में 4852.09 लाख, हाटा में 7631.59 लाख, गदौरा में 3575.15 लाख, उतरौला में 7113.52 लाख, प्रतापपुर में 4148.24 लाख, रूदौली में 4021.11 लाख, सिसवा बाजार में 2656.05 लाख, तुलसीपुर में 2752.29 लाख, वाल्टरगंज में 4003.27 लाख, रसड़ा में 557.13 लाख रूपए बकाया हैं। कुल मिलाकर इन 17 गन्ना मिलों पर किसानों के खून पसीने की कमाई के 53821.76 लाख रूपया बकाया है।
डॉ बाजपेयी ने कहा कि 2012-13 के आंकड़ों के अनुसार कोआपरेटिव एवं अन्य प्राइवेट गन्ना मिलों पर किसानों का 5255.81 करोड़ रूपया बकाया है। डॉ वाजपेयी ने कहा कि कई गन्ना मिलों ने किसानों से निर्धारित रकबे का गन्ना लेने से इंकार कर दिया है, जिससे किसान अपने गन्ने को खेतों में खड़ा छोड़ने या लोकल क्रेशर को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तत्काल किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान, फर्जीवाड़ा करके किसानों का गन्ना लेकर उनका भुगतान किए बगैर भागने वाली मिलों के खिलाफ कार्रवाई, सिंचाई की उचित व्यवस्था, सीजन के दौरान विद्युत आपूर्ति की सुचारू व्यवस्था करे।
डॉ बाजपेयी ने कहा कि 2009 में यूपीए सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया था, आज उन किसानों के पास आरसी जा रही है, जिससे किसान अपने को ठगा महसूस कर रहा है, उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह घोषणा के अनुसार सभी किसानों के ऋण को अविलंब माफ करे। प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यदि किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया और उनकी मांगों को नही माना तो चीनी मिलों का घेराव किया जाएगा, प्रबंधकों को मिलों में घुसने नही दिया जाएगा और जरूरत पड़ने पर विधान सभा का घेराव भी किया जएगा।