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Friday 29 November 2019 01:36:51 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किशन रेड्डी ने नई दिल्ली में भूस्खलन जोखिम कटौती तथा स्थिरता-2019 पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने सम्मेलन में कहा कि भूस्खलन जैसी आपदाओं से निपटने के लिए टेक्नोलाजी विकसित करनी होगी। नुकसान को कम करने में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आधारभूत संरचना विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि भूस्खलन की ओर पूरी दुनिया का ध्यान गया है, क्योंकि यह आपदा समुदायों, पशुधन, पर्यावरण तथा लोगों की जिंदगी को तबाह करती है। एक ओर भूस्खलन से सड़कें, भवन, सेतु और संचार प्रणाली जैसी आधारभूत संरचनाओं का नुकसान होता है, वहीं दूसरी ओर इससे मानव गतिविधियां और सक्रियता ठहर जाती है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन हमारी संस्कृति और विरासत के ढांचे को नुकसान पहुंचा रहा है और लोगों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को मिटा रहा है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि भूस्खलन प्राकृतिक आपदा है, लेकिन हमारी जीवनशैली, हमारी लालच और वैश्विक गर्मी और जलवायु परिवर्तन के साथ गैर जिम्मेदार नियोजन भी आपदा के लिए जिम्मेदार हैं। भारत को आपदा रोधी बनाने तथा भूस्खलन से नुकसान को कम करने के सरकार के कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए किशन रेड्डी ने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के अपनाए जाने से सरकार ने सभी स्तरों पर सभी हितधारकों की रोधी क्षमता को मजबूत बनाने की पहल की है। देश में पहली बार इस तरह के सम्मेलन का आयोजन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान को गृह राज्यमंत्री ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि समस्या के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तथा राज्य और क्षेत्रीय स्तरों पर लोगों को शामिल करके व्यापक सहयोगी कार्यक्रम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन के विचार-विमर्श से प्राकृतिक आपदाओं के समाधान तलाशने में मदद मिलेगी।
आपदा सम्मेलन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों के वैज्ञानिक, इंजीनियर, प्रौद्योगिकीविद्, नियोजक, डेवलपर्स, प्रशासक, नीति और निर्णय निर्माताओं ने भाग लिया और अपने विचार एवं सुझाव साझा किए। इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑन लैंडस्लाइड्स (आईसीएल), स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट कोऑपरेशन (एसडीसी), यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन फ़ंड (यूनिसेफ), आईटीसी नीदरलैंड, यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक (यूएन ईएसएपीएपी), यूनाइटेड सहित 50 से अधिक नॉलेज पार्टनर राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (एडीपीसी), इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर प्रमोटिंग जियो-एथिक्स (आईएपीजी), इंटरनेशनल ज्योग्राफिकल यूनियन (आईजीयू), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, राज्य आपदा प्राधिकरण (एसडीएमए), भूवैज्ञानिक सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई), सीएसआईआर, आईआईटी, विश्वविद्यालय, यूजीसी, एआईसीटीई, राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग, प्रसार भारती, संबंधित हितधारकों ने एनआईडीएम का समर्थन किया। आपदा सम्मेलन में एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल मनोज कुमार बिंदल, एनडीएमए के सचिव जीवीवी सरमा, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव के जिंदल, एनडीएमए के सदस्य और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।