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Tuesday 10 December 2019 01:45:11 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को लोकसभा में प्रस्तुत करते हुए कहा है कि नागरिकता संशोधन देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है, अपितु उन लोगों को नागरिकता प्रदान करना है, जो बिना नागरिकता के भारत की शरण में हैं और जो अल्पसंख्यक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना, भेदभाव और अत्याचार के कारण भारत में रहना चाहते हैं। गौरतलब है कि इन देशों में गैर मुस्लिम हिंदू सिख ईसाई पारसी जैन बौद्ध अल्पसंख्यक समुदाय हैं और इन देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं है। अमित शाह ने कहा कि नागरिकता कानून में संशोधन से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रताड़ित और वहां से आने वाले इन अल्पसंख्यकों को शरण और नागरिकता दी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार देश होने के नाते भारत इन देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की अनदेखी नहीं कर सकता, भारत उन्हें अपने यहां रहने का अवसर देगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का लोकसभा में एक सदस्य के जवाब में कहना था कि इन तीनों देशों में मुसलमानों पर अत्याचार नहीं होता, क्योंकि वहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं। अमित शाह ने कहा कि इस कानून से भारत में किसी भी मुस्लिम के अधिकारों का हनन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के समय यदि धर्म के आधार पर भारत का विभाजन न हुआ होता तो आज नागरिकता कानून संशोधन की जरूरत ही नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया, इसीलिए नागरिकता कानून में संशोधन की आवश्यकता है। गृहमंत्री ने कहा कि भारत की जमीनी सीमा से सटे ये तीन देश हैं, जो मुस्लिम बाहुल्य हैं और जिनकी लगभग 106 किलोमीटर की सीमा भारत से लगी है। उन्होंने कहा कि इन देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोग वहां प्रताड़ित होकर भारत में शरण लेने आते हैं। उनका आश्वस्त किया कि आर्टिकल 371 के किसी भी प्रोविजन को यह संशोधन आहत नहीं करेगा, बल्कि उत्तर-पूर्व के लोगों की अनेक समस्याओं का समाधान करेगा। अमित शाह ने स्पष्ट कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों की भाषिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा करना हमारी प्रतिबद्धता है।
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने जितने भी आर्टिकल का उल्लेख किया है, उन सभी को ध्यान में रखा गया है। एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए अमित शाह ने कहा कि मणिपुर को इनर लाइन परमिट के तहत लाया जाएगा और इसके साथ ही सभी पूर्वोत्तर राज्यों की समस्याओं का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरा अरुणाचल, मिजोरम, नागालैंड इनर लाइन प्रोटेक्टेड है, इसलिए सभी नार्थ-ईस्ट के राज्यों को चिंता करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल-2019 लाखों-करोड़ों शरणार्थियों को नर्कपूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन देशों के अल्पसंख्यक नागरिक भारत के प्रति श्रद्धा निष्ठा रखते हुए भारत में आए थे और यह बिल पारित होने के बाद उनको भारत की नागरिकता मिल सकेगी, उनको स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आदि सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। अमित शाह ने कहा कि यह नागरिकता संशोधन किसी भी रूपमें गैर-संवैधानिक नहीं है और न ही यह आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने उल्लेख किया कि सन् 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था, जिसके अंतर्गत भारत और पाकिस्तान को अपने-अपने यहां अल्पसंख्यकों का ध्यान रखना था, किंतु उनके यहां ऐसा नहीं हुआ। अमित शाह ने यह भी उल्लेख किया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश ने तो अपने संविधान में लिखा हुआ है कि वहां का राजधर्म इस्लाम है, पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी जो 2011 में घटकर केवल 3% रह गई, बांग्लादेश में भी यह संख्या कम हुई है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वहां उनका अस्तित्व बना रहे और सम्मान के साथ बना रहे, जबकि भारत में 1951 में मुस्लिम 9.8% था, जो आज 14.2 3% है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। अमित शाह ने कहा कि यदि पड़ोस के देशों में अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना हो रही है, उन्हें सताया जा रहा है तो भारत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता। अमित शाह ने कहा कि भारत में किसी तरह की रिफ्यूजी पॉलिसी की जरूरत नहीं है। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि यह नरेंद्र मोदी सरकार है ना लम्हों की खता होगी, न सदियों तक सजा पाएंगे। अमित शाह ने कहा कि रोहिंग्याओं को देश में कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा, उन्हें भारत से बाहर निकाला जाएगा।
अमित शाह ने भारत के सभी अल्पसंख्यकों को विश्वास दिलाया कि नरेंद्र मोदी सरकार के होते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है, यह सरकार सभी को सुरक्षा और समान अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना था कि भारत का संविधान ही नरेंद्र मोदी सरकार का धर्म है। गृहमंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत में पलायन करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रयास किया गया है, यदि वे नागरिकता प्रदान करने की शर्तों को पूरा करते हैं, छह साल भारत में रहने पर उन्हें नागरिकता प्रदान कर दी जाएगी। अमित शाह ने कहा कि इसमें भारत के अल्पसंख्यक समुदाय को लक्षित नहीं किया गया है, लेकिन अवैध प्रवासियों को किसी भी कीमत पर देश में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अमित शाह ने कहा कि किसी भी सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा करे, देश के अंदर आते हुए घुसपैठियों को रोके तथा शरणार्थी और घुसपैठियों की अलग-अलग पहचान करे। उनका कहना था कि जब एनआरसी लाएंगे, तब एक भी घुसपैठिया वापस भेजने से बच नहीं पाएगा।