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Wednesday 18 December 2019 02:02:44 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान तथा बेंगलूरू भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशकों के सम्मेलन की राष्ट्रपति भवन में मेजबानी की। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रपति ने पांचवे विजिटर पुरस्कार भी प्रदान किए। गौरतलब है कि विजिटर पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति देते हैं और 2014 के कुलपतियों के सम्मेलन में इन पुरस्कारों को की घोषणा की गई थी तथा 2015 में पहलीबार इन्हें प्रदान किया गया। इसका उद्देश्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और विश्व में उपलब्ध अध्ययन के बेहतर तरीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा देना है। ये पुरस्कार सामाजिक विज्ञान, कला, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो विज्ञान और माइक्रोबॉयोलॉजी जैसे विभिन्न विषयों में नवीन अनुसंधान कार्यों के लिए दिए गए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अवसर पर कहा कि हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालयों का उद्देश्य लगातार विकसित होते हुए खुद को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना होना चाहिए, यह ऐसा काम है, जिसमें कुलपति और निदेशकों को कुशल नेतृत्व प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों को सबसे पहले देश में सर्वश्रेष्ठ बनने और एकदूसरे के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास करना चाहिए, इसके बाद उन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से प्रतिस्पर्धा करने की इच्छा करनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के स्तर तक पहुंचने के लिए यह जरूरी है कि विश्वविद्यालय पहले आपस में, राज्यों और निजी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करें एवं एक-दूसरे के अनुभवों से सीखें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों और संस्थानों का नेतृत्व करने वालेकुलपतियों और निदेशकों को चाहिए कि वह अपने छात्रों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने का काम करें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कक्षाओं और प्रयोगशालाओं से परे छात्रों को एनएसएस या ऐसे ही अन्य संगठनों के माध्यम से सामाजिक रूपसे उन्मुख उद्यमों के प्रति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि जो विश्वविद्यालय पिछड़े क्षेत्रों में स्थित हैं, उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने आसपास के समुदायों के कल्याण के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि शैक्षिक समुदाय और स्थानीय उद्योग के बीच सार्थक संबंध विकसित करना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, छात्रों को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को देश और समाज के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान तलाशने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इनमें से कई चुनौतियों के लिए रचनात्मक और नवीन समाधानों की आवश्यकता होती है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह सुनिश्चित करना विश्वविद्यालयों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि उनके परिसर ऐसे स्थान के रूपमें उभरें जो स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विचारों का पोषण कर सकें, जहां प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए, विफलता का उपहास न हो और ऐसी विफलताओं को सीखने के अवसर के रूपमें देखा जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को छात्रों को उन समस्याओं को उजागर करने के लिए प्रयोगशालाएं बनना चाहिए, जिन्हें राष्ट्रनिर्माण के कारण संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसी प्रयोगशालाओं के रूपमें काम करना चाहिए, जो छात्रों को राष्ट्रनिर्माण में आने वाली बाधाओं के निराकरण के लिए तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि छात्रों को सामुदायिक गतिविधियों से जोड़ने का प्रयास होना चाहिए। सम्मेलन के बाद अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर संस्थानों के प्रमुखों के विभिन्न उप समूहों ने प्रस्तुतियां दीं।