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Saturday 21 December 2019 12:08:41 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने नई दिल्ली में मौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान और केंद्रीय वक्फ परिषद की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा है कि कुछ लोग नागरिकता अधिनियम और एनआरसी के बारे में जाने बगैर गलतफहमी फैलाकर शांति और सच्चाई का अपहरण करने की साजिश में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान और केंद्रीय वक्फ परिषद के सदस्य नागरिकता अधिनियम और एनआरसी पर देशभर में जागरुकता अभियान चलाएं, ताकि कुछ लोगों द्वारा नागरिकता अधिनियम और एनआरसी के बारे में अपने संकीर्ण हितों के लिए फैलाई जा रही झूंठी जानकारी और मनगढ़ंत प्रचार को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों की साजिश को बेनकाब करना है, जो नागरिकता और एनआरसी का आपस में मिश्रण कर रहे हैं।
मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि सच्चाई के पहाड़ को झूंठ की झाड़ियों से नहीं छिपाया जा सकता। उन्होंने कहा कि जागरुकता अभियान के तहतमौलाना आज़ाद शिक्षा प्रतिष्ठान और केंद्रीय वक्फ परिषद के सदस्य आम लोगों, धार्मिक प्रतिनिधियों, शैक्षणिक संस्थानों, सामाजिक संगठनों से मिलें और उन्हें नागरिकता कानून एवं एनआरसीके बारे में सही जानकारी दें। मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि कुछ लोग देश में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं, एनआरसी पर अराजकता इस साजिश का एक बड़ा सबूत है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि 1951 में शुरू की गई एनआरसी केवल असम तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की नागरिकता और एनआरसी को एक साथ जोड़ना सरासर ग़लत है, अभी तक असम में एनआरसीप्रक्रिया पूरी ही नहीं हुई है, जिन लोगों को सूची में जगह नहीं मिली है, वे न्यायाधिकरणों और अदालतों में भी अपील कर सकते हैं, सरकार ऐसे लोगों की मदद कर रही है।
मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि जो लोग अफवाह और गलत सूचना के माध्यम से देश की शांति व्यवस्था का अपहरण करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वे ग़लत हैं और अपनी साजिश में विफल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सत्यमेव जयते, झूंठमेव जयते के राजनीतिक प्रचार को ध्वस्त कर देगा। मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि भारत की एकता और सद्भाव की ताकत ने दुनियाभर में भारत के लिए सम्मान प्राप्त किया है, हमें किसी भी परिस्थिति में एकता और सद्भाव की भावना को कमजोर नहीं करना है। उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम के कारण देश के किसी भी मुसलमान की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है, अल्पसंख्यक भारत की विकास प्रक्रिया के समान भागीदार हैं।