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Thursday 26 December 2019 06:25:36 PM
नई दिल्ली। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष डॉ डीके अग्रवाल ने फोरेंसिक ऑडिट और फ्रॉड डिटेक्शन पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला है कि 2007 से अबतक सत्यम से शुरू होनेवाली कॉरपोरेट धोखाधड़ी के मकड़जाल ने भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है और भारत अभी तक उससे उबरा नहीं है। डॉ डीके अग्रवाल ने कॉर्पोरेट धोखाधड़ी में 40 प्रतिशत वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने संगोष्ठी के विषय के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत में हर तीसरी कंपनी आंतरिक या बाहरी धोखाधड़ी का सामना कर रही है।
डॉ डीके अग्रवाल ने सुझाव दिया कि यदि कंपनियां अपने ग्राहकों और कर्मचारियों की शिकायतों पर ध्यान दें तो कई प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सकता है। पीएचडी हाउस नई दिल्ली में 20 दिसंबर को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की कॉर्पोरेट मामलों की समिति ने इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस अवसर पर दिवाला और दिवालियापन बोर्ड ऑफ इंडिया के सदस्य डॉ नवरंग सैनी ने लेखा परीक्षकों और फोरेंसिक लेखा परीक्षकों द्वारा नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं के लगातार पालन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी में सत्यम से लेकर कार्वी तक के ऑडिटरों की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।
डॉ नवरंग सैनी ने कहा कि कुछ सिद्धांतों और लेखा प्रक्रियाओं के गैरपालन से अक्सर घोटाले होते हैं और लेखा परीक्षकों को इनसे बचना चाहिए। भारत में विनियामक पारिस्थितिकी तंत्र का उल्लेख करते हुए डॉ नवरंग सैनी ने कहा कि 2016 में दिवालिया और दिवालियापन संहिता के अधिनियमन के साथ नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं को मजबूत किया गया है, इसके बाद आईबीबीआई के गठन और इसके कार्य परिणामजनक हुए हैं, इस कारण संपूर्ण रूपसे कॉर्पोरेट क्षेत्र और समाज के व्यवहार में परिवर्तन आया है। उन्होंने आईबीसी को गेमचेंजर बताया और कहा कि बैंकों को अब कॉरपोरेट देनदारों का पीछा करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन कॉर्पोरेट्स अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें एनपीए घोषित न किया जाए।
पीएचडीसीसीआई की कॉर्पोरेट मामलों की समिति के अध्यक्ष नवीन एनडी गुप्ता ने कहा कि हाल ही में कॉर्पोरेट क्षेत्र में हुई धोखाधड़ी ने देश को नकारात्मक रूपसे प्रभावित किया है और मंदी को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र को विकास के इंजन के रूपमें धोखाधड़ी मुक्त सुनिश्चित करने के लिए नियामकों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। संगोष्ठी में तकनीकी सत्र एक फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट प्रोग्राम, डिजिटल फोरेंसिक-अवलोकन और परिचय, फोरेंसिक रिपोर्ट और संबंधित प्रदर्शनों को विकसित करने पर आयोजित किए गए। विजय झालानी सहअध्यक्ष कॉर्पोरेट मामले पीएचडीसीसीआई ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।