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Friday 27 December 2019 04:20:51 PM
नई दिल्ली। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया है कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन किया गया है, जो कई वर्ष से लंबित था। उन्होंने बताया कि पुनर्गठित रेलवे बोर्ड में एक सीईओ होगा और कार्य आधारित चार सदस्यों में सदस्य ढांचागत संरचना, सदस्य रोलिंग स्टॉक और ट्रैक्शन, सदस्य परिचालन और व्यापार विकास तथा सदस्य वित्त होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल भारतीय रेल के अधिकारी ही रेलवे बोर्ड के सीईओ होंगे, किसी भी बाहरी व्यक्ति को सीईओ नहीं बनाया जाएगा और यह भी है कि भारतीय रेल के अधिकारियों के करियर में किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। रेलवे पर बनी कई सुधार समितियों ने इस संबंध में सुझाव दिए थे, सुझाव देने वाली समितियों में 1994 में पुनर्गठन के सुझाव देने के लिए बनी प्रकाश टंडन समिति के अधिकांश सुझावों को अपनाया गया है। उन्होंने मीडिया के सामने दावा किया कि रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन से रेल यात्री एवं माल ढुलाई सेवाएं और भी बेहतर होंगी एवं आपसी समन्वय अच्छा होगा।
अध्यक्ष रेलवे बोर्ड ने कहा कि बोर्ड में स्वतंत्र सदस्यों को गैर कार्यकारी सदस्यों के रूपमें शामिल किया जाएगा और इनकी प्रमुख भूमिका परामर्श देने की होगी, ये रेलवे के दैनिक कामकाज से नहीं जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन के तौर-तरीके वैकल्पिक व्यवस्था में तय किए जाएंगे, गैर कार्यकारी सदस्यों की संख्या केंद्र सरकार तय करेगी। विनोद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय रेल की सभी आठों सेवाओं को एक सेवा भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा के अंतर्गत शामिल किया गया है, इससे विभिन्न विभागों में बंटे रहने से होने वाली समस्याएं समाप्त हों जाएंगी और रेल अधिकारी रेलवे के विकास के लिए परस्पर समन्वय के साथ कार्य करेंगे।
विनोद कुमार यादव ने कहा कि रेलवे बोर्ड की नई पुनर्गठित सेवा में महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को सर्वोच्च स्तर का विकल्प देना वास्तव में उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है, इससे राज्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय बेहतर होगा और तेजी से निर्णय लिए जा सकेंगे। नई व्यवस्था से रेलवे बोर्ड नीति निर्माण, रणनीतिक योजना निर्माण और जोनल रेलवे के साथ समन्वय पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा। विनोद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय रेल की प्राथमिकता अवसंरचना को बेहतर बनाना और अड़चनों को दूर करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल ने कोलकाता-दिल्ली और दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और आशा है कि 2021 तक समर्पित फ्रेट कोरिडोर की 3000 किलोमीटर लंबी रेल लाइन तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्ष में भारतीय रेल के पास सभी फ्रेट मार्गों पर समर्पित फ्रेट कॉरिडोर होंगे।
विनोद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय रेल ने मांग के आधार पर ट्रेन चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि पीपीपी मोड के आधार पर रेलवे स्टेशन विकसित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन पांच वर्ष में रेलवे का निवेश 3 से 4 गुना बढ़ा है और परियोजनाओं को अत्यधिक महत्वपूर्ण श्रेणियों में बांटा गया है, इससे अवसंरचना के उन्नयन में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल ने उच्च विकास का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए तेज एवं आपसी समन्वय के आधार पर निर्णय लेना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि रेल संचालन को और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे बोर्ड के पुर्नगठन की प्रक्रिया चल रही थी, जो रेल समितियों के सुझावों पर निर्भर थी। समितियों के कई सुझाव आए थे, जिनपर विचार करते हुए नए सिरे से रेल बोर्ड का पुर्नगठन कर दिया गया है।