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Monday 30 December 2019 01:18:10 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर जैसे मामलों को प्रबुद्ध और रचनात्मक तरीके से समझने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से पहले इन्हें जानने और इनकी पृष्ठभूमि को पूरी तरह समझने की जरूरत है। हैदराबाद में संयुक्त आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे डॉ एम चन्ना रेड्डी के जन्म शताब्दी समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंसा और लोकतंत्र एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने देशवासियों को सावधान किया कि वे ग़लत खबरों और भावनाओं में न बहें। उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर देश के लोगों को एक प्रबुद्ध, सार्थक और रचनात्मक चर्चा करनी चाहिए, जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा एक परिपक्व लोकतंत्र है और इसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि असंतोष या असहमति को रचनात्मक, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने स्मरण कराया कि महात्मा गांधी ने सबसे कठिन चुनौतियों के बावजूद भी सभी प्रकार की हिंसा से दूरी बनाए रखी, वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करते हुए भी अपने विरोधी के प्रति शिष्ट बने रहे। उन्होंने कहा कि चौरी चौरा की हिंसक घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन खत्मकर दिया था। उपराष्ट्रपति ने संसद और विधानसभाओं की गरिमा बनाए रखने और बहस के मानकों को ऊपर उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत हमले नहीं किए जाने चाहिएं, जबकि नीतियों की आलोचना की जा सकती है। उपराष्ट्रपति ने शासन प्रणाली का उल्लेख करते हुए लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप इसमें लगातार सुधारने लाने का आह्वान किया। उन्होंने जोरदेकर कहा कि सुशासन प्रदान करने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और जनकेंद्रित नीतियां आवश्यक हैं।
एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करना, प्रशासन का विकेंद्रीकरण करना, लालफीताशाही को कम करना, सरकारी विभागों, जनता के बीच ऑनलाइन अंत:संपर्क को बढ़ावा देना और शिकायतों का तुरंत समाधान करना एक उत्तरदायी प्रशासन की महत्वपूर्ण विशेषताएं एवं जिम्मेदारियां हैं। डॉ एम चन्ना रेड्डी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि वे एक जमीनी स्तर के और जननेता थे, जिन्होंने आम लोगों की स्थिति में सुधार लाने के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि वह कई उच्च पदों पर आसीन रहे, उनके प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व के गुणों का प्रमाण है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूपमें डॉ रेड्डी के कार्यकाल के दौरान कई विकासात्मक कदम उठाए गए, वे आंध्रप्रदेश राज्य को औद्योगिकीकरण की राह पर लाए, उन्होंने अफसरशाही पर रोक लगाई और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर प्रशासन में सुधार किया।
उपराष्ट्रपति ने यह उल्लेख करते हुए कि कृषि क्षेत्र के प्रति डॉ एम चन्ना रेड्डी का विशेष लगाव था, कहा कि उन्होंने किसानों की स्थिति में सुधार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी थी। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वे सामाजिक न्याय के भी पुरोधा थे और उन्होंने 1980 में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी, लोकतांत्रिक नींव के सुदृढ़ीकरण में दृढ़ विश्वास रखते हुए उन्होंने स्थानीय निकायों के लिए मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 साल की थी। उपराष्ट्रपति ने प्रख्यात सिंचाई विशेषज्ञ टी हनुमंथा राव को मरणोपरांत सतत विकास के लिए डॉ एम चन्ना रेड्डी राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि यह सम्मान जल संभर विकास के लिए उनके क्रांतिकारी नवोन्मेषण के सम्मान के रूपमें दिया जाता है। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल डॉ के रोसैया और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।