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Thursday 9 January 2020 01:49:44 PM
नई दिल्ली। भारत में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में हिंसक प्रदर्शन और सार्वजनिक अशांति के खिलाफ विभिन्न धर्मों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी से भेंट की और बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार के साथ एकजुटता व्यक्त की एवं सरकार की नीतियों में भरोसा जताया। प्रतिनिधिमंडल ने एक स्वर में दृढ़ता के साथ केंद्रीय गृह राज्यमंत्री से कहा कि सीएए से किसी भी भारतीय को चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, वर्ण अथवा नस्ल का हो, उसे इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। प्रतिनिधिमंडल ने विश्वास व्यक्त किया कि इस कानून को उन लोगों के लिए मानवीय आधार पर पारित किया गया है, जो उत्पीड़न के डर से तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भागकर अपने दुख को कम करने और सुरक्षा के लिए इन देशों से भारत में पलायन कर आए हैं।
धार्मिक नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आपसी स्वीकृति और सौहार्द की भूमि होने के नाते इस बात को कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा कि कोई प्रदर्शन एक ऐसे फैसले के खिलाफ हो, जिसका उद्देश्य पीड़ित परिवारों के कष्टों को कम करना है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने इस बात को दोहराया कि सीएए कानून पूरी तरह औचित्यपूर्ण उद्देश्यों पर आधारित है। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का लचीलापन हमारे समूहवाद की ताकत, अहिंसा और आपसी स्वीकृति के हमारे सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास तथा संविधान के सिद्धांतों का पालन करने में निहित है। उन्होंने इस तथ्य को दोहराया कि हम सभी भारतीयों के रूपमें अपनी पहचान बताते हैं और इसने हमें एकजुट रखा है, यही वह भरोसा और विश्वास है, जो हमें संकट के समय एकजुट और मजबूत रखता है एवं उन ताकतों से दूर रखता है, जो हमें एकजुट और बढ़ते हुए नहीं देखना चाहती हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने लोगों से आग्रह किया कि वे खुद गुमराह करने वाले तत्वों से चौकस रहें, जिनका उद्देश्य आपसी सम्मान और स्वीकृति की हमारी नींव को अस्थिर करना है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने लोगों तक अहिंसा और धार्मिक सौहार्द के संदेश को पहुंचाने को कहा। उन्होंने शांति और एकजुटता के संदेश के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की भी इच्छा व्यक्त की। प्रतिनिधिमंडल में जैन आचार्य डॉ लोकेश, मेडिटेशन गुरू स्वामी दीपांकर, मुफ्ती शमऊन कासमी, सरदार संत सिंह, विभिन्न धर्म और सम्प्रदाय के प्रमुख धार्मिक गुरू, समाज सुधारक, वीरचक्र पुरस्कार प्राप्त कर्नल टीपी त्यागी, विनीत कुमार और गौतम प्रमुख रूपसे शामिल थे।