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Friday 10 January 2020 05:46:28 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी, केंद्रीय ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री राजकुमार सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के कार्यकारी निदेशक एवं राजदूत डॉ फतेह बिरोल तथा नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने संयुक्त रूपसे भारत की ऊर्जा नीति रिपोर्ट की समीक्षा लॉंच की। यह समीक्षा रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने तैयार की है। धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर डॉ फतेह बिरोल और उनकी आईईए टीम को भारत के ऊर्जा क्षेत्र के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कही गई बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊर्जा विजन को हासिल करने की दिशा में किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की पुष्टि करती हैं। ऊर्जा विजन के महत्वपूर्ण घटक हैं-ऊर्जा तक पहुंच, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा का दीर्घावधि प्रयोग और ऊर्जा सुरक्षा। ऊर्जा न्याय, ऊर्जा विजन के केंद्र में है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और वह अपने ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़े बदलाव के दौर में है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार की ऊर्जा नीतियां स्पष्ट रूपसे दिखाती हैं कि हम जिम्मेदारी के साथ तथा दीर्घावधि उपयोग को ध्यान में रखते हुए इस ऊर्जा बदलाव को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 2015 से भारत सरकार की पहलों ने भारत की स्थायी ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एक विकासशील देश के रूपमें हमारी प्रमुख चुनौती ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करना है, देश की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत से कम है और भारत ने हाल के वर्षों में आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच प्राप्त करने की दिशा में काफी प्रगति की है। इसमें लोगों के लिए खाना पकाने का स्वच्छ ईंधन, बिजली एवं किफायती, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता शामिल है। उन्होंने कहा कि सभी के लिए ऊर्जा संयुक्तराष्ट्र सतत विकास लक्ष्य-7 है और इस प्रगति को समीक्षा रिपोर्ट में उचित स्थान दिया गया है, रिपोर्ट में आने वाले दिनों की मुख्य चुनौतियों को भी स्पष्ट किया गया है। उज्ज्वला योजना के बारे में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश के सुदूर क्षेत्रों में भी स्वच्छ ईंधन उपलब्धता सुनिश्चित की गई है, एलपीजी को प्रोत्साहन देने से संबंधित अपने अनुभव को हम अफ्रीका और एशिया के देशों के साथ साझा कर रहे हैं, हमें लंबी दूरी तय करनी है और हमें यह सुनिश्चित करना है कि योजनाओं का क्रियांवयन देश के सभी हिस्सों तक समान रूपसे हो। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत का गैस आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव, स्वदेश में उत्पादित जैव ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता उपायों से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में महत्वपूर्ण कमी आएगी।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि तेल और गैस आधारित अवसंरचना का निर्माण किया जाए और सभी नागरिकों को किफायती ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तेल और गैस ढांचागत संरचना के लिए 100 बिलियन डॉलर के निवेश की योजना तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि गैस पाइपलाइन नेटवर्क देश के एक कोने को दूसरे कोने-पश्चिमी भारत के कच्छ से पूर्वी भारत के कोहिमा तक और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी से जोड़ेगी, पूर्वोत्तर क्षेत्र के 8 देशों में 1656 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन बिछाई जाएगी, पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना के तहत तैयार होने वाली इस गैस पाइपलाइन की अनुमानित लागत 9265 करोड़ रुपये है और सरकार ने पूंजीगत अनुदान अंतर कोष के रूपमें लागत की 60 प्रतिशत धनराशि देने की मंजूरी भी दे दी है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 400 से अधिक जिलों में सरकार सिटी गैस वितरण नेटवर्क का निर्माण करेगी, यह नेटवर्क भारत के 50 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को कवर करेगा और इस नेटवर्क से 72 प्रतिशत आबादी को स्वच्छ और किफायती गैस की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि प्राकृतिक गैस पर एक कार्यशाला का आयोजन 23 जनवरी को नई दिल्ली में होगा, जिसमें सभी हितधारक भाग लेंगे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि रिपोर्ट में ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण नीति प्राथमिकता के रूपमें सरकार ने मान्यता देने की बात कही है, आईईए ने भारत की तेल आपात प्रतिक्रिया नीति को लागू करने के लिए अनुशंसाएं की है, वैश्विक तेल सुरक्षा के मामलों पर देश अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक देश के रूपमें स्थापित हुआ है। तेल स्रोतों की विभिन्नताओं और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के विकास के बारे में उन्होंने कहा कि हम तेजी से इस रास्ते पर बढ़ रहे हैं, देश 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करने और डीजल में 5 प्रतिशत बायो-डीजल मिश्रित करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति में अपशिष्ट से संपत्ति निर्माण को विशेष महत्व दिया गया है और हमारा लक्ष्य कृषि अवशेषों एवं घरों से निकलने वाले अपशिष्टों से विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन तैयार करना है। उन्होंने कहा कि हमने निवेश अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए हैं। आईईए ने भी उल्लेख किया है कि 2015 से 2018 के दौरान भारत के ऊर्जा क्षेत्र में किया गया निवेश दुनिया का दूसरा सबसे अधिक निवेश है। हमें इस बात की खुशी है कि विश्व की जानी-मानी तेल व गैस कंपनियों जैसे-साउदी अरामको, एडीएनओसी, बीपी, शेल, टोटल, रोजनैफ्ट, एक्जॉन मोबिल की भारत में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।