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Wednesday 03 April 2013 04:43:48 AM
लखनऊ। भारत सरकार के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से प्रशासित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के तत्वावधान में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ रहमानखेड़ा परिसर में कृषि प्रौद्योगिकियों की प्रदर्शनी, किसान गोष्ठी एवं मीडिया मीट का आयोजन 30 मार्च 2013 को किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय आम के मौसम में संस्थान से विकसित आम उत्पादन की नवीनतम प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर आम की उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ डीएस राठौर, पूर्व कुलपति, सीएसके हिप्र कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने किसानों का आह्वान किया कि वे संस्थान से विकसित प्रौद्योगिकियों का प्रयोग कर आम की उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाएं और उसे दूर-दूर मंडियों में भेजकर अधिकाधिक लाभ प्राप्त करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के प्रकाशन विभाग के परियोजना निदेशक डॉ रामेश्वर सिंह ने की। क्षेत्रीय निदेशक प्रेस सूचना ब्यूरो अरिमर्दन सिंह एवं किसानों के प्रतिनिधि राजवीर सिंह, केके शर्मा ने भी किसानों को संबोधित किया। कृषि प्रौद्योगिकियों की प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, सीएसआईआर, राज्य सरकार के विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, निजी संस्थाओं तथा एग्रो इनपुट सप्लायर के 24 स्टॉल लगाए गए। कार्यक्रम में माल एवं मलिहाबाद के आम उत्पादक क्षेत्र के लगभग 300 किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा एवं मीडिया मीट का भी आयोजन किया गया। आम के बागवानों, आम की मूल्य श्रृंखला से जुड़े विभिन्न सहभागियों एवं मीडिया से जुड़े लोगों को विषय विशेषज्ञों ने इस समय आम के बागों में किए जाने वाले कार्यों की जानकारी दी। संस्थान के निदेशक डॉ एच रविशंकर ने स्वागत भाषण में अतिथियों का स्वागत किया तथा संस्थान की प्रौद्योगिकियों को अपनाकर लाभ अर्जित करने पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष से आम की बागवानी में मानकों के विरुद्ध बढ़ते रसायनों का प्रयोग चिंता का विषय बना है। संस्थान सही समय पर सही रसायन का सही मात्रा में प्रयोग कर आम के कीट एवं बीमारियों के नियंत्रण की सलाह देता है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों का बताया यदि आम के बाग में अभी भी भुनगे का प्रकोप हो तो भुनगा कीट के नियंत्रण के लिए आम के फल लगने के बाद एक छिड़काव थायोमेथाक्जाम (0.20 ग्राम प्रति लीटर पानी) का करना चाहिए, यदि किसी कारण से गुजिया कीट पेड़ पर चढ़ गया हो तो ऐसी अवस्था में कार्बासल्फान 25 ईसी का 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। बाग में यदि पुष्पगुच्छ मिज या स्केल कीट का प्रकोप दिख रहा हो तो डाइमेथोएट 30 ईसी का 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। फल मक्खी की संख्या जानने एवं उसके नियंत्रण हेतु काष्ठ निर्मित यौनगंध ट्रैप को पेड़ पर लगाना चाहिए। यौनगंध ट्रैप हेतु प्लाईवुड के 5ग5ग1 सेमी आकार के गुटके को 48 घंटे तक 6, 4, और 1 के अनुपात में अल्कोहल मिथाइल यूजिनाल मैलाथियान के घोल में भिगोकर लगाना चाहिए।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ कैलाश कुमार ने बताया कि फल फटने की समस्या के नियंत्रण एवं आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु बोरेक्स का 2 से 5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें। बोरेक्स ठंडे पानी में आसानी से नहीं घुलता है, अतः इसे पहले गर्म पानी में घोल कर फिर और पानी मिलाना चाहिए। प्रदर्शनी में केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो लखनऊ, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर, केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान लखनऊ, बायोटेक पार्क लखनऊ आदि ने अपने-अपने स्टॉलों के माध्यम से उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया। प्रधान वैज्ञानिक डॉ कैलाश कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए अतिथियों, मीडिया प्रतिनिधियों, किसानों एवं कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।