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Tuesday 14 January 2020 01:11:42 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के दो शहरों लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी घोषणा करते हुए दावा किया है कि इस व्यवस्था के क्रियांवयन से स्मार्ट एवं सेफ पुलिसिंग को बल मिलेगा और आमजन को बेहतर पुलिस व्यवस्था प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री ने लोकभवन में मीडिया को राजधानी लखनऊ एवं आर्थिक राजधानी गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने के मंत्रिपरिषद के निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा सुरक्षा को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता की सुरक्षा और सुशासन के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है, बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए जो भी कदम उठाने होंगे उन पर राज्य सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का निर्णय उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, यह प्रदेश में पुलिस सुधार के लिए सबसे बड़ा फैसला है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ महानगर की जनसंख्या 29 लाख थी, जो बढ़कर लगभग 40 लाख हो गई है, इसी प्रकार गौतमबुद्धनगर की जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 16 लाख थी, वर्तमान में यह 25 लाख हो गई है, जिससे यह प्रणाली आवश्यक हो गई थी। उन्होंने कहा कि यह पचास साल पुरानी मांग भी थी, जिसे क्रियांवित किया गया है। गौरतलब है कि तत्कालीन मायावती सरकार में भी कानपुर के लिए यह निर्णय लिया गया था, लेकिन कदाचित नौकरशाही के दबाव में इसे तुरंत वापस भी ले लिया गया था। इसबार निर्णय लेते ही यह व्यवस्था लागू भी कर दी गई है। अब देखना होगा कि यह कितनी सफल होगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि लखनऊ में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत अपर पुलिस महानिदेशक स्तर का एक पुलिस आयुक्त तैनात किया गया है, उनके अधीनस्थ आईजी स्तर के 2 संयुक्त पुलिस आयुक्त तैनात किए गए हैं, इसके अलावा उप पुलिस आयुक्त के पद पर पुलिस अधीक्षक स्तर के 10 अधिकारी तैनात किए गए हैं और महिला अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए पुलिस अधीक्षक स्तर की 1 महिला अधिकारी तथा अपर पुलिस अधीक्षक स्तर की 1 महिला अधिकारी की तैनाती की जाएगी। उन्होंने बताया कि यातायात प्रबंधन के लिए भी पुलिस अधीक्षक स्तर के 1 अधिकारी तथा अपर पुलिस अधीक्षक स्तर के 1 अधिकारी की तैनाती की जाएगी। इसी प्रकार जनपद गौतमबुद्धनगर में अपर पुलिस महानिदेशक स्तर के 1 पुलिस आयुक्त, डीआईजी रैंक के 2 अपर पुलिस आयुक्त तथा पुलिस अधीक्षक स्तर के 7 अधिकारी तैनात किए गए हैं। महिला अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए पुलिस अधीक्षक स्तर की 1 महिला अधिकारी की तैनाती की जाएगी। यातायात प्रबंधन के लिए पुलिस अधीक्षक स्तर के 1 अधिकारी को तैनात किया जाएगा।
राज्य मंत्रिपरिषद ने पुलिस एक्ट की धारा-2 का प्रयोग करके 2 पुलिस जनपदों-लखनऊ (नगर) और लखनऊ (ग्रामीण) का गठन करते हुए लखनऊ (नगर) एवं जनपद गौतमबुद्धनगर में पुलिस आयुक्त तथा सहयोगी पदों को उपलब्ध पदों से समायोजित किए जाने का निर्णय लिया है। पुलिस जनपद लखनऊ (ग्रामीण) में वर्तमान पुलिस अधीक्षक की व्यवस्था यथावत लागू रखी गई है। सम्बंधित पुलिस अधीक्षक पूर्व व्यवस्था के अनुसार अपने उपमहानिरीक्षक तथा महानिरीक्षक को रिपोर्ट करेंगे। जनपद गौतमबुद्धनगर तथा जनपद लखनऊ की नगरीय जनसंख्या 10 लाख से अधिक है, इसके दृष्टिगत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-8 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जनपद लखनऊ (नगर) एवं गौतमबुद्धनगर को महानगर क्षेत्र घोषित किया गया है। इन दोनों महानगरीय क्षेत्रों में भविष्य में सृजित होने वाले महानगरीय क्षेत्र के थानों को शामिल किया जा सकेगा। लखनऊ (नगर) के अधीन आलमबाग, अलीगंज, अमीनाबाद, आशियाना, बाजारखाला, बंथरा, चैक, कैंट, चिनहट, गोमतीनगर, गुडम्बा, गाजीपुर, गौतमपल्ली, गोसाईगंज, हसनगंज, हजरतगंज, हुसैनगंज, इंदिरानगर, जानकीपुरम, कैसरबाग, कृष्णानगर, महानगर, मानकनगर, मड़ियांव, नाका, पारा, पीजीआई, सआदतगंज, सरोजनीनगर, तालकटोरा, ठाकुरगंज, विभूति खंड, विकासनगर, वजीरगंज, काकोरी, नगराम, महिला थाना, मोहनलालगंज, सुशांत गोल्फसिटी तथा गोमतीनगर विस्तार पुलिस थाने हैं।
लखनऊ (ग्रामीण) के अधीन बक्शी का तालाब, इटौंजा, मलिहाबाद, निगोहा तथा माल पुलिस थाने हैं। पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अपर पुलिस उपायुक्त एवं सहायक पुलिस आयुक्त को अधिनियमों में परिभाषित कार्यकारी मजिस्ट्रेट के विधिक अधिकार दिए गए हैं जैसे-दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 58 व अध्याय VIII (परिशान्ति कायम रखने के लिए और सदाचार के लिए प्रतिभूति) और अध्याय X (लोक व्यवस्था और शांति बनाए रखना)। उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम-1970 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 8 सन् 1971)। विष अधिनियम-1919। अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम-1956। पुलिस (द्रोह-उद्दीपन) अधिनियम-1922। पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम-1960। विस्फोटक अधिनियम-1884। कारागार अधिनियम-1894। सरकारी गोपनीयता अधिनियम-1923। विदेशी अधिनियम-1946। गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967। भारतीय पुलिस अधिनियम-1861। उत्तर प्रदेश अग्नि शमन सेवा अधिनियम-1944। उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम-2005। उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम-1986।