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Friday 24 January 2020 05:27:39 PM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने आयोग के पहले अध्यक्ष सुकुमार सेन की याद में प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया। गौरतलब है कि सुकुमार सेन ने 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूपमें काम किया था। भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत में चुनाव प्रक्रिया और चुनाव प्रणाली की चुनौतियों पर उद्घाटन व्याख्यान दिया। उन्होंने राष्ट्र की प्रगति में इस संस्था के महत्व को अपने व्याख्यान में रेखांकित किया। प्रणब मुखर्जी ने सुकुमार सेन के बारे में कहा कि उन्होंने नवजात शिशु विशेषज्ञ की भूमिका निभाई और लगभग 3,000 चुने हुए प्रतिनिधियों वाली भारतीय लोकतंत्र की पहली फसल तैयार की। उन्होंने नौकरशाही के रुतबे से अलग होकर अपनी भूमिका निभाई और समस्त प्रक्रिया के प्रति निष्पक्ष होकर अपना कार्य पूरा किया।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि निष्पक्ष, स्वतंत्र और भरोसेमंद चुनाव लोकतंत्र की जीवनरेखा होते हैं और सुकुमार सेन ने अपनी देखरेख में पहले दो आम चुनाव कराए, इस तरह भारत राजशाही और उपनिवेश से निकलकर लोकतांत्रिक गणराज्य बना। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की संविधान सभा ने वयस्क मतदान के मुद्दे पर गहरी चर्चा की थी, चुनाव प्रक्रिया की समस्त कठिनाइयों के बावजूद संविधान सभा ने बेहिचक वयस्क मतदान के सिद्धांत को अपनाया। उन्होंने कहा कि पहले आम चुनाव की प्रमुख उपलब्धि यह रही कि उसने भारत को एकता के सूत्र में बांधा, भारतीय लोकतंत्र और उसकी अंतर्निहित शक्ति ने हमेशा उग्रवाद और अलगाववादी आंदोलनों को रोकने में सफलता पाई है तथा चुनाव प्रक्रिया में सबको शामिल किया है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सहमति हमारे लोकतंत्र की जीवनरेखा है, लोकतंत्र सुनने, समझने, चर्चा करने और असहमति के जरिए फलता-फूलता है। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी स्वस्थ लोकतंत्र की कुंजी है।
निर्वाचन आयोग की भूमिका के विषय में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग का सभी लोग सम्मान करते हैं और चुनाव में हिस्सा लेने वाले लोग सावधान रहते हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग समय की कसौटी पर हमेशा खरा उतरा है और उसके शानदार कार्यकाल रहे हैं, उसे हमेशा बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वर्ष 2019 में 900 मिलियन से अधिक मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने का काम अभूतपूर्व रहा है और इतना बड़ा चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष रूपसे कराना निर्वाचन आयोग की अत्यंत सराहनीय उपलब्धि है। इस अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग प्रणब मुखर्जी का ऋणी है कि उन्होंने प्रथम सुकुमार सेन स्मृति व्याख्यान में अपना व्याख्यान देने की सहमति दी। उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी के पास राजनीतिक, संवैधानिक और ऐहतिहासिक विषयों की महान संपदा मौजूद है, उन्हें 2019 में अपने विशिष्ट योगदान के लिए भारतरत्न से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूपमें प्रणब मुखर्जी ने 2016 और 2017 में भारत निर्वाचन आयोग के राष्ट्रीय मतदान दिवस को संबोधित किया था। सुनील अरोड़ा ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भी उनकी 123वीं जयंती पर याद किया।
उल्लेखनीय है कि सुकुमार सेन ने सार्वभौमिक वयस्क मतदान के आधार पर 1952 और 1957 में विधानसभा चुनाव के साथ पहले दो लोकसभा आम चुनाव कराए थे, उस समय उनके सामने चुनाव की कोई नज़ीर नहीं थी। स्मृति व्याख्यान के आयोजन के दौरान प्रणब मुखर्जी ने भारत के पहले चुनाव पर पुनर्मुद्रित रिपोर्ट का विमोचन किया और सुकुमार सेन की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया। इस दौरान यह प्रस्ताव भी किया गया कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने में शानदार योगदान करने वाली भारत या विदेश की प्रमुख हस्तियों को हर वर्ष व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। व्याख्यान में सुकुमार सेन के परिजनों में डॉ आशीष मुखर्जी, श्यामली मुखर्जी, संजीव सेन, सोनाली सेन, देबदत्ता सेन, सुजय सेन (पौत्र और दौहित्र), आदित्य सेन, विक्रम सेन, अर्जुन वीर सेन (प्रपौत्र), राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, अकादमिक जगत, सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारी, मीडियाकर्मी और अतंर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि दक्षिण एशिया के निर्वाचन प्रबंधन निकायों के फोरम की 10वीं वार्षिक बैठक और संस्थागत क्षमता को शक्ति संपन्न बनाने के विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली आए हुए हैं। निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने धन्यवाद दिया।