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सच्चर पर सपा सरकार का बयान झूंठा-रिहाई मंच

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Thursday 04 April 2013 09:02:30 AM

rajendra singh sachar, akhilesh yadav and other

लखनऊ। जस्टिस राजेंद्र सिंह सच्चर से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव सरकार के जारी बयान में सच्चर प्रतिनिधिमंडल की ओर से सपा सरकार की तारीफ को रिहाई मंच ने झूंठा और जनता को गुमराह करने वाला करार दिया है। रिहाई मंच ने कहा है कि जस्टिस सच्चर जैस प्रतिबद्ध धर्मनिरपेक्ष व्यक्तित्व का हवाला देकर सरकार मुसलमानों में अपनी सांप्रदायिक छवि सुधारने की नाकाम कोशिश कर रही है। प्रतिनिधि मंडल में शामिल अवामी काउंसिल के महासचिव और रिहाई मंच के नेता असद हयात ने कहा कि जस्टिस सच्चर के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिले प्रतिनिधिमंडल ने सपा सरकार के एक साल में हुए 27 दंगों की सीबीआई जांच कराने, तारिक-खालिद की गिरफ्तारी पर गठित आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को तत्काल जारी करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को तत्काल छोड़ने की मांग को प्रमुखता से रखा, जिसका संतोषजनक उत्तर मुख्यमंत्री के पास नहीं था।
ज्ञातव्य है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र सिंह सच्चर के साथ पूर्व मंत्री महाराष्ट्र भाई वैद्य, श्रमिक नेता गिरीश पांडेय, राष्ट्रीय सेवा दल के पन्नालाल सुराणा तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद असद हयात एडवोकेट की मुख्यमंत्री से भेंट के बाद एक बयान में सपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं सरकार के कारागार मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा था कि राजेंद्र सच्चर ने अखिलेश यादव को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास जताया है कि उनके मुख्यमंत्री बनने से उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के हित सुरक्षित रहेंगे और उन्हें इंसाफ मिलेगा, मुस्लिम नौजवानों को दहशतगर्दी में झूंठे आरोपों में फंसाया नहीं जाएगा, मुस्लिमों को समाजवादी पार्टी सरकार में रोजी-रोटी के साथ सम्मान भी हासिल होगा, उन्होंने समाजवादी सरकार के एक साल में मुस्लिमों के पक्ष में किए गए निर्णयों की भी सराहना की। असद हयात ने कहा कि बल्कि सच्चाई यह है कि जस्टिस सच्चर ने मुख्यमंत्री से कहा था कि फैजाबाद और कोसी कलां, मथुरा दंगो समेत प्रदेश में हुए दंगो की सीबीआई से जांच कराई जाए।
उन्होंने बताया कि जस्टिस सच्चर ने मुख्यमंत्री से यह कहा कि मुसलमान उनकी सरकार में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है, अस्थान, प्रतापगढ़ में प्रवीण तोगड़िया के भड़काऊ भाषण और आगजनी के मामले में प्रवीण तोगड़िया के विरुद्ध मुकदमा दर्ज न होने से मुसलमानों में सरकार के विरुद्ध शंका का वातावरण तैयार हो गया है, तो वहीं वरुण गांधी के मामले में सरकार अपील दाखिल करने में सुस्ती दिखा रही है, जो समझ से परे है। रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के पास मुसलमानों के सवालों पर सपा सरकार के रवैए को उचित ठहराने का कोई तर्क नहीं है। रिहाई मंच ने इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री की तरफ से गैरजिम्मेदाराना हरकत करार देते हुए कहा कि जब जस्टिस सच्चर जैसे वरिष्ठ व्यक्ति के साथ हुई बातचीत का भ्रामक प्रचार किया जा सकता है, तो इससे तो कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर मुख्यमंत्री से मिलने जाने से पहले दस बार सोचेगा।
रिहाई मंच के नेताओं ने मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी के बयान को गलत करार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि आतंकवाद के नाम पर बसपा सरकार में ही गिरफ्तारियां हुई हैं, जबकि सीतापुर के शकील, जिनकी गिरफ्तारी सपा सरकार में हुई है, के भाई इसहाक, खुद कई बार राजेंद्र चौधरी से मुलाकात कर गिरफ्तारी की जांच की मांग कर चुके हैं और आजमगढ़ के जामतुर्रफलाह मदरसे के दो कश्मीरी छात्रों वसीम बट और सज्जाद बट की गिरफ्तारी भी इसी सरकार में हुई है। दिल्ली क्राइम ब्रांच लियाकत शाह की भी गैर कानूनी गिरफ्तारी गोरखपुर से ही हुई है जिस पर प्रदेश सरकार ने दिल्ली क्राइम ब्रांच पर मुकदमा दर्ज करने की कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई। रिहाई मंच ने कहा कि लखनऊ जेल में बंद नौशाद पर पिछले दिनों जेल में हुए कातिलाना हमले के बाद मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे और एडवोकेट मोहम्मद शुएब ने जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी से मिलकर इसकी शिकायत करते हुए दोषियों पर कार्रवाई और आंतकवाद के नाम पर बंद बेगुनाहों की जेल में सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाईनहीं हुई और उल्टे नौशाद पर जेल में दोबारा हमला हुआ।

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