स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 28 January 2020 05:31:10 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम एवं रोज़गार राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा है कि खानकर्मियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने आज 12वें राष्ट्रीय खान सुरक्षा सम्मेलन के उद्घाटन कार्यक्रम में बताया कि मंत्रालय ने संसद में पेशेगत सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थिति संहिता पेश की है, जिसमें खानकर्मियों की सलाना स्वास्थ्य जांच तथा खान, कारखाना एवं विनिर्माण सभी क्षेत्रों के लिए सुरक्षा मानकों के प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि खान क्षेत्र लगभग 10 लाख लोगों को रोज़गार देता है और राष्ट्र की जीडीपी में इसका योगदान लगभग 2.6 प्रतिशत है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मेलन श्रमिकों की सुरक्षा के बारे में आवश्यक सुझाव देगा। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के पश्चात खानों का परिदृश्य लगातार बदल रहा है।
श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के सचिव हीरालाल समरिया ने कहा कि खान क्षेत्र कच्चे माल की आपूर्ति करके विभिन्न उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने कहा कि श्रमिक इस उद्योग के आधार स्तंभ हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। हीरालाल समरिया ने कहा कि खान क्षेत्र सबसे जोखिम वाले उद्योगों में एक है और खानकर्मियों को जमीन के नीचे बहुत गहराई तक जाना पड़ता है, इसलिए खानों के सुरक्षा मानक वैश्विक मानकों के अनुरूप होने चाहिएं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि खान और खानकर्मियों की सुरक्षा के लिए विद्युत से सुरक्षा, उपयोगी मशीनरी तथा सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका के सम्बंध में नवीनतम प्रौद्योगिकी पर विचार-विमर्श किया जा सके और इन्हें लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि खान क्षेत्र की समस्याओं पर सभी हितधारकों के साथ विस्तार से चर्चा की जाएगी। सम्मेलन की शुरुआत 1958 में हुई थी। पूर्वी भारत के चाइनाकुरी कोलियरी में आपदा (विस्फोट) के बाद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। अबतक 11 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय खान सुरक्षा सम्मेलन की कई अनुशंसाओं को नियमों एवं अधिनियमों में शामिल किया गया है। कई सिफारिशों को प्रबंधन की सुरक्षा नीतियों और अभ्यासों में शामिल किया गया है। खान क्षेत्र में सुरक्षा और स्वास्थ्य पर आधारित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए इस सम्मेलन की राष्ट्रीय मंच के रूपमें पहचान है। इस अवसर पर श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय की संयुक्त सचिव कल्पना राजसिंघोत और डीजीएमएस के महानिदेशक आर सुब्रमनियन ने भी विचार व्यक्त किए। अपर सचिव तथा वित्तीय सलाहकार शिवानी स्वैन, नियोक्ताओं के प्रतिनिधि के रूपमें खान कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्रमिकों के प्रतिनिधियों के रूपमें केंद्रीय श्रमिक संघों के नेता, केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और शिक्षाजगत एवं अनुंसधान संस्थानों के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया।
दो दिवसीय राष्ट्रीय खान सुरक्षा सम्मेलन में खान में सुरक्षा, वर्तमान उपायों और कार्यस्थल पर स्थितियों को बेहतर बनाने आदि की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा संविदा श्रमिकों के ओएसएच मामले सुरक्षा स्थिति को बेहतर बनाने की रणनीति, कोयला खानों में आपदा रोकथाम के लिए रणनीतियां, विद्युत सुरक्षा-हाल के रूझान बेहतर करने के लिए रणनीति, खान क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका, श्रमिकों में न्यूमोकोनियोसिस/ सिलिकोसिस बीमारियों की मौजूदगी-धूल नियंत्रण उपायों की वर्तमान स्थिति तथा इसे बेहतर बनाने की रणनीति आदि विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सम्मेलन में विस्तार से चर्चा के बाद महत्वपूर्ण सिफारिशें की जाएंगी। इनमें ऐसे उपायों का सुझाव दिया जाएगा, जिससे देश में खानकर्मियों की सुरक्षा, कल्याण और स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर होगी।