स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 29 January 2020 05:02:34 PM
नई दिल्ली। भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी यानी आईएएचई को राजमार्ग क्षेत्र के एक विश्वस्तरीय प्रमुख संस्थान में तब्दील करने के लिए गठित समिति का यह मानना है कि इंजीनियरों में और ज्यादा कौशल ज्ञान एवं विशेषज्ञता बढ़ाना अपरिहार्य है, ताकि भारत के व्यापक सड़क नेटवर्क को अपेक्षाकृत कम लागत पर निरंतर बेहतरीन, पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित रखा जा सके। इस समिति ने कल अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशिक्षण से जुड़ी मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं एवं प्रशिक्षण कार्यप्रणाली में सुधार लाने, विश्व स्तरपर प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से जुड़ाव सुनिश्चित करने और व्यावहारिक अनुसंधान एवं संबंधित कार्य करने की जरूरत है।
समिति की सिफारिशें हैं कि आईएएचई के कार्यक्षेत्र का विस्तार कर इसमें तीन विशिष्ट कार्य प्रशिक्षण, राजमार्ग एवं सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में प्रायोगिक अनुसंधान व विकास कार्य, सड़क सुरक्षा एवं नियमन को शामिल किया जाए। मंत्रालय के एईई और एनएचएआई के उप प्रबंधकों के लिए एक वर्षीय फाउंडेशन प्रशिक्षण दिया जाए, जिसमें विदेश में 15 दिन का प्रशिक्षण भी शामिल है। सेवा में निरंतरता के लिए फाउंडेशन प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना अत्यंत जरूरी है। अगले उच्च स्तरपर पदोन्नति के लिए करियर के मध्य में प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना अनिवार्य किया जाए। ठेकेदारों एवं सलाहकारों के साथ कार्य करने वाले इंजीनियरों के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाए। राज्यों के राजमार्गों, एमडीआर और ग्रामीण सड़कों हेतु राज्यों के पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के लिए आईएएचई को विशिष्ट प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पेशकश करनी चाहिए। सामग्री परीक्षण प्रक्रियाओं से जुड़े सलाहकारों एवं ठेकेदारों के गुणवत्ता नियंत्रण एवं सहायक गुणवत्ता नियंत्रण इंजीनियरों के लिए आईएएचई को प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिएं और समुचित दिशा-निर्देशों के जरिए इस तरह की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
निर्माण के विशिष्ट क्षेत्रों सुरंग बनाने, बहुस्तरीय क्रॉसिंग की व्यवस्था करने इत्यादि के लिए आईएएचई को अग्रणी विदेशी संस्थानों उद्योग जगत से सहयोग करना चाहिए। आईएएचई को मंत्रालय को थिंक-टैंक के रूपमें काम करना चाहिए और विशिष्ट संदर्भों में परामर्श देना चाहिए। यातायात के सुचारू संचालन एवं अनुकरण के लिए आईएएचई में उत्कृष्टता केंद्र बनाना चाहिए। राजमार्गों के निर्माण में व्यावहारिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए, जिसमें बेकार सामग्री, वस्त्र एवं प्लास्टिक के उपयोग, नई सामग्री, रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय परीक्षण करना भी शामिल हैं। आईएएचई की मौजूदा प्रयोगशाला का उन्नयन किया जाए और इसके साथ ही एनएबीएल से प्रमाणपत्र लिया जाना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं पर इस्तेमाल होने वाली सामग्री का परीक्षण किसी अन्य पक्ष के जरिए कराया जा सके। सड़क से संबंधित सभी तरह के आंकड़ों यातायात, तैयार सामग्री और सड़कों एवं पुलों की स्थिति से जुड़े डेटा का संग्रहण आईएएचई में किया जाए। दुघर्टनाओं से बचाव के लिए आईएएचई को एसओपी तैयार करना चाहिए और यातायात इंजीनियरिंग, डेटा प्रभाग एवं दुर्घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक केंद्र स्थापित करना चाहिए, ताकि भावी अध्ययन कराए जा सकें और इसके साथ ही सड़क सुरक्षा को बेहतर किया जा सके।
आईएएचई को सड़क सुरक्षा ऑडिटरों के प्रशिक्षण एवं प्रमाणन से संबंधित समस्त गतिविधियों की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। आईएएचई के व्यापक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समुचित योजना बनाई जाए। संगठनात्मक ढांचे में समुचित बदलाव किए जाएं, ताकि उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की समिति में चेयरमैन वाईएस मलिक पूर्व सचिव सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, बीएन सिंह पूर्व डीजी (आरडी) एवं एसएस सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सदस्य, एमपी शर्मा पूर्व एडीजी सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सदस्य और एसपी सिंह संयुक्त सचिव सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सदस्य सचिव शामिल थे। समिति का कार्य महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करना और भारतीय राजमार्ग इंजीनियर अकादमी को राजमार्ग क्षेत्र के एक ऐसे विश्व स्तरीय प्रमुख संस्थान में तब्दील करने के तरीकों के बारे में सिफारिशें पेश करना था, जिसके पास राजमार्ग क्षेत्र से जुड़ी पूर्ण व्यापक विशेषज्ञता हो।
आईएएचई का गठन मंत्रालय ने वर्ष 1983 में एक सोसाएटी के रूपमें किया था, ताकि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों इत्यादि के राजमार्ग इंजीनियरों को प्रवेश स्तर के साथ-साथ करियर के मध्य में विभिन्न स्तरोंपर भी प्रशिक्षण दिया जा सके। यह राजमार्गों के नियोजन, डिजाइनिंग, निर्माण, परिचालन, रखरखाव एवं प्रबंधन सहित विभिन्न विषयों पर प्राप्त अनुभवों को संयोजित करने एवं इनसे जुड़े ज्ञान को साझा करने का प्रमुख संस्थान है। आईएएचई 1 अक्टूबर 2001 से ही नोएडा के संस्थागत क्षेत्र के सेक्टर 12 के ए-5 में अवस्थित 10 एकड़ की भूमि पर बनाए गए विशाल परिसर में कार्यरत है। इस अकादमी में प्रशिक्षण से संबंधित आवश्यक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं हैं, जिनमें व्याख्यान हॉल, कम्प्यूटर लैबोरेटरी, सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला, पुस्तकालय एवं डिस्प्ले सेंटर, प्रशिक्षुओं के लिए छात्रावास इत्यादि हैं। आईएएचई ने अपनी शुरुआत से लेकर अब तक 1494 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए हैं और भारत के साथ-साथ 59 अफ्रीकी-एशियाई देशों के 35,988 प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। वर्ष 2019-20 के दौरान आईएएचई ने 85 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किए हैं और 2577 राजमार्ग प्रोफेशनलों को प्रशिक्षित किया है। आईएएचई के पास 100 सड़क सुरक्षा अभियंता एवं ऑडिटर हैं।